eng
competition

Text Practice Mode

बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट आनंद हॉस्पिटल के सामने छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777

created Apr 7th 2021, 09:17 by Vikram Thakre


0


Rating

418 words
10 completed
00:00
भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है। नए पुष्टि किए गए मामलों में एक लाख से अधिक की वृद्धि हुई है और सात-दिवसीय चलती औसत भी ऊपर की ओर प्रक्षेपवक्र का संकेत दे रहा है। खेल एक बार फिर से इसके प्रकोप का सामना कर रहा है। टीमों और प्रशिक्षण शिविरों में कोविद सकारात्‍मक के मामले हैं यहां तक कि अधिकारियों को भी नहीं बख्‍शा जा रहा है। बस जब नागरिकों को संगठित या नियोजित किया जा रहा था, कोविद ने फिर मारा। अनुसूचित घरेलू खेल की घटनाओं को अनिश्चित काल के लिए स्‍थगित कर दिया गया है। बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अप्रैल और मई के महीनों में होने वाली सभी घरेलू रैंकिंग घटनाओं को पीछे धकेल दिया। तीरंदाजी और तैराकी के नागरिकों को स्‍थगित कर दिया गया था। कहीं कहीं, देश के कुछ संभ्रांत तैराकों को पानी से बाहर रखा गया था, कम से कम सोमवार तक, क्‍योंकि कर्नाटक सरकार ने स्विमिंग पूल बंद करने का फैसला किया था। जैसा कि यह खड़ा है, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) आगे बढ़ रहा है, लेकिन टूर्नामेंट से जुड़े एक दर्जन से अधिक लोगों ने एक सप्‍ताह से भी कम समय में वायरस के लिए सकारात्‍मक परीक्षण किया है। पटियाला और बेंगलुरु में राष्ट्रीय उत्‍कृष्‍टता केंद्र में रहने वाले एथलीटों ने भी सकारात्‍मक परीक्षण किया है। यह सब बताता है कि महामारी भारतीय खेल पारिस्थितिकी तंत्र को लगातार दूसरे वर्ष भी पटरी से उतार सकती है। बहुत सारे राष्ट्रीय खेल महासंघ  को 2020 में घटनाओं को स्‍थगित या रद्द करना पड़ा। इससे आयु वर्ग के एथलीटों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। एक साल पहले ही खो चुका है और एक उम्‍मीद है कि इस साल भी बर्बाद नहीं होगा। ओलिंपिक संभावितों के लिए नए मामलों में एक उतार-चढ़ाव का क्‍या मतलब हो सकता है, इस बात का डर भी है। उनमें से कुछ सकारात्‍मक परीक्षण कर सकते हैं और बहुत कम से कम दो सप्‍ताह के लिए संगरोध के लिए मजबूर हो सकते हैं। टोक्‍यो खेलों के साथ अभी तीन महीने दूर हैं, वे किसी भी वायरस-लागू ब्रेक को बीमार कर सकते हैं। ऐसी स्थिति को रोकने के लिए, खेल मंत्रालय और एनएसएफ को सभी ओलंपिक-बाउंड एथलीटों के लिए टीकाकरण शुरू करना चाहिए या उन्‍हें भारत के बाहर उन ठिकानों में तैनात करना चाहिए जहां वायरस का खतरा कम है। दिलचस्‍प बात यह है कि ओलंपिक से जुड़े कुछ एथलीटों को पहले ही टीका लगाया जा चुका है। खेलों के लिए बहुत कम समय बचा होने के कारण, कोई भी शिथिल नहीं हो सकता।
 
 

saving score / loading statistics ...