Text Practice Mode
OM SAI COMPUTER CENTER KADA KI BARIYA CHHATARPUR-7999508036
created Apr 7th 2021, 06:24 by AMITSONI
2
292 words
13 completed
5
Rating: 5
00:00
एक बार स्वामी दयानंद वाराणसी गए हुए थे और वहां गंगा के तट पर अपना आसन जमाया हुआ था। पास में ही एक झोपड़ी थी जिसमें एक साधु रहता था। स्वामी जी को यहां आया देख उस साधु को बड़ी ईर्ष्या हुई।
वह रोज स्वामी जी के पास जाकर गालियां दिया करता था किंतु स्वामी जी उस पर ध्यान नहीं देते थे। बल्कि मुस्कुरा देते थे। एक बार स्वामी जी के भक्तों ने उन्हें एक फलों से भरा हुआ टोकरा अर्पित किया। स्वामी जी ने उनमें से कुछ अच्छे फल निकाल लिए और अपने एक शिष्य को देते हुए कहा जाओ, उस साधु को दे आओ।
शिष्य फल लेकर उस साधु के पास पहुंचा और उसने स्वामी जी का नाम लिया ही था कि साधु चिल्ला उठा सुबह-सुबह तुमने किस पाखंडी का नाम ले लिया, शायद आज दिन भर भोजन भी नसीब ना हो। तुमसे जरूर कोई भूल हुई है तुम्हारे गुरूजी ने यह फल किसी और के लिए दिए होगें।
शिष्य स्वामी जी के पास पहुंचा और उनसे सारी बातें कहीं, स्वामी जी ने उसे लोटाते हुए कहा, जाकर उनसे कहो कि आप स्वामी जी पर प्रतिदिन जो अमृत वर्षा करते हैं, जिससे आपकी बहुत सारी शक्ति नष्ट होती होगी। इसलिए आप इन फलों को खाइए जिससे आपकी शक्ति बनी रहे और आप इसी तरह से अमृतवर्षा मुझ पर करते रहे।
शिष्य ने स्वामीजी का संदेश उन्हें ज्यो का त्यों सुना दिया, यह सुनते ही उस साधु पर मानो घड़ों पानी पड़ गया हो, साधु को अपनी गलती पर बड़ा पश्चताप हुआ और वह स्वामी दयानंद के चरणों पर गिरते हुए बोला स्वामीजी मुझे क्षमा करें, मैं तो आपको एक साधारण मनुष्य समझता था, पर आप तो देवता निकले, फिर स्वामी जी ने भी साधु को गले से लगा लिया।
वह रोज स्वामी जी के पास जाकर गालियां दिया करता था किंतु स्वामी जी उस पर ध्यान नहीं देते थे। बल्कि मुस्कुरा देते थे। एक बार स्वामी जी के भक्तों ने उन्हें एक फलों से भरा हुआ टोकरा अर्पित किया। स्वामी जी ने उनमें से कुछ अच्छे फल निकाल लिए और अपने एक शिष्य को देते हुए कहा जाओ, उस साधु को दे आओ।
शिष्य फल लेकर उस साधु के पास पहुंचा और उसने स्वामी जी का नाम लिया ही था कि साधु चिल्ला उठा सुबह-सुबह तुमने किस पाखंडी का नाम ले लिया, शायद आज दिन भर भोजन भी नसीब ना हो। तुमसे जरूर कोई भूल हुई है तुम्हारे गुरूजी ने यह फल किसी और के लिए दिए होगें।
शिष्य स्वामी जी के पास पहुंचा और उनसे सारी बातें कहीं, स्वामी जी ने उसे लोटाते हुए कहा, जाकर उनसे कहो कि आप स्वामी जी पर प्रतिदिन जो अमृत वर्षा करते हैं, जिससे आपकी बहुत सारी शक्ति नष्ट होती होगी। इसलिए आप इन फलों को खाइए जिससे आपकी शक्ति बनी रहे और आप इसी तरह से अमृतवर्षा मुझ पर करते रहे।
शिष्य ने स्वामीजी का संदेश उन्हें ज्यो का त्यों सुना दिया, यह सुनते ही उस साधु पर मानो घड़ों पानी पड़ गया हो, साधु को अपनी गलती पर बड़ा पश्चताप हुआ और वह स्वामी दयानंद के चरणों पर गिरते हुए बोला स्वामीजी मुझे क्षमा करें, मैं तो आपको एक साधारण मनुष्य समझता था, पर आप तो देवता निकले, फिर स्वामी जी ने भी साधु को गले से लगा लिया।
saving score / loading statistics ...