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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Apr 7th 2021, 04:52 by VivekSen1328209
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एक गांव में दुर्गादास नाम का एक व्यक्ति था। वह था तो बहुत धनी किसान, किन्तु वह बहुत आलसी था। वह न तो कभी अपने खेत देखने जाता था और न ही खलिहान अपनी गाय भैंसों की भी वह कोई खोज-खबर नहीं रखता था और न ही अपने घर के सामानों की ही देखभाल करता था। अपना सब काम वह नौकरों पर छोड़ देता था। उसका सब काम उसके नौकर ही किया करते थे।
लेकिन उसके इस आलस और कुप्रबंध से उसके घर की व्यवस्था धीरे-धीरे बिगड़ने लगी। उसको खेती में हानि होने लगी थी। गायों के दूध-घी से भी उसे कोई अच्छा लाभ नहीं होता था। एक दिन दुर्गादास का मित्र हरिश्चंद्र उसके घर आया। हरिश्चंद्र ने दुर्गादास के घर का हाल देखा। अपने मित्र का ऐसा हाल देखकर उसने यह समझ लिया कि उसको समझाने से आलसी दुर्गादास अपना स्वभाव नहीं छोड़ेगा। इसलिए उसने अपने मित्र दुर्गादास की भलाई करने के लिए उससे कहा मित्र तुम्हारी यह हालत देखकर मुझे बड़ा दुख हो रहा है। लेकिन तुम घबराओ मत तुम्हारी इस गरीबी को दूर करने का एक सरल उपाय मैं जानता हूं।
लेकिन उसके इस आलस और कुप्रबंध से उसके घर की व्यवस्था धीरे-धीरे बिगड़ने लगी। उसको खेती में हानि होने लगी थी। गायों के दूध-घी से भी उसे कोई अच्छा लाभ नहीं होता था। एक दिन दुर्गादास का मित्र हरिश्चंद्र उसके घर आया। हरिश्चंद्र ने दुर्गादास के घर का हाल देखा। अपने मित्र का ऐसा हाल देखकर उसने यह समझ लिया कि उसको समझाने से आलसी दुर्गादास अपना स्वभाव नहीं छोड़ेगा। इसलिए उसने अपने मित्र दुर्गादास की भलाई करने के लिए उससे कहा मित्र तुम्हारी यह हालत देखकर मुझे बड़ा दुख हो रहा है। लेकिन तुम घबराओ मत तुम्हारी इस गरीबी को दूर करने का एक सरल उपाय मैं जानता हूं।
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