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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Apr 7th 2021, 04:20 by Buddha academy
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देखा जाये तो सुख और दुख दोनों ही जीवन के प्रमुख पहलू हैं, चाहे कोई गरीब हो या अमीर, राजा हो या रंक, कमजोर या सबल, सबके जीवन में सुख के साथ दुख भी आते हैं। लेकिन अच्छी सोच और अच्छे व्यवहार वाला व्यक्ति अपने दुख को भी सुख में बदल लेता है। आज हम इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे हम हमेशा खुश रहें और कैसे खुद को दुखों से कोसो दूर करें।
जो कुछ भगवान ने आपको दिया है या जो कुछ आपने हासिल किया है उसी में संतुष्ट रहना सीखें। अक्सर देखा जाये तो असंतुष्टि दुख की प्रमुख वजह होती है। जब हमारा मित्र कक्षा में हमसे ज्यादा मार्क्स लाता है तो दुख होता है, जब हमारे पड़ोसी नया बंगला बनवाते हैं तो दुख होता है, जब कोई साथी नई कार खरीदता है तो दुख होता है, बड़ा धंधा खोलता है तो दुख होता है।
मित्रों साफ शब्दों में कहें तो हम अपने दुख से उतने दुखी नहीं हैं जितना की दूसरों के सुख से मानो ना मानो यही सच्चाई है। तो खुद को संतुष्ट रखिये, संतुष्ट का मतलब ये नहीं कि आप दूसरों से आगे बढ़ने का प्रयास ही खत्म कर दें। प्रयास करते रहें लेकिन ईर्ष्या या जलन की भावना खुद के अंदर ना आने दें।
मेरी एक सलाह है कि आप हमेशा अपने जैसे ही लोगों को अपने मित्र बनायें। अगर आपका मित्र मोटा होगा तो आप हमेशा खुद को पतला महसूस करेंगे, आपका मित्र अमीर होगा तो आप हमेशा खुद को गरीब महसूस करेंगे, आपका मित्र लंबा होगा तो आप हमेशा खुद को छोटा महसूस करेंगे। ये सब चीजें आपको दुख देंगी आपको लगेगा कि मेरे मित्र के पास ही सब कुछ है मेरे पास तो कुछ है ही नहीं, तो कोशिश करें अपने जैसे लोगों को ही मित्र बनायें, यकीन माने आप पहले से दोगुना खुश रहेंगे। आपको जो बातें दुख दे रही हो उनको नजरअंदाज करिये कई बार हम फालतू की चीजों को लेकर दुखी रहते हैं जिनसे कोई फायदा भी नहीं है, केवल उन्हीं बातों को सुनिए जो आपको खुशी दें।
आपका कोई मित्र बहुत अमीर है या करियर के क्षेत्र में आपसे आगे है तो कोशिश करें कि आप उनसे अपनी तुलना ना करें क्योंकि ये चीज हमेशा आपको दुख देने वाली होगी। तुलना ना करें और दूसरों की सफलता को एक प्रेरणा की तरह लें कि जितनी मेहनत करके दूसरा इंसान सफल हुआ है हम उससे ज्यादा मेहनत करेंगे और सफल होंगे ऐसी भावना होनी चाहिए। फिर देखिये आपके दुख छूमंतर हो जायेंगे और आपके चारों ओर खुशी ही खुशी होगी।
जो कुछ भगवान ने आपको दिया है या जो कुछ आपने हासिल किया है उसी में संतुष्ट रहना सीखें। अक्सर देखा जाये तो असंतुष्टि दुख की प्रमुख वजह होती है। जब हमारा मित्र कक्षा में हमसे ज्यादा मार्क्स लाता है तो दुख होता है, जब हमारे पड़ोसी नया बंगला बनवाते हैं तो दुख होता है, जब कोई साथी नई कार खरीदता है तो दुख होता है, बड़ा धंधा खोलता है तो दुख होता है।
मित्रों साफ शब्दों में कहें तो हम अपने दुख से उतने दुखी नहीं हैं जितना की दूसरों के सुख से मानो ना मानो यही सच्चाई है। तो खुद को संतुष्ट रखिये, संतुष्ट का मतलब ये नहीं कि आप दूसरों से आगे बढ़ने का प्रयास ही खत्म कर दें। प्रयास करते रहें लेकिन ईर्ष्या या जलन की भावना खुद के अंदर ना आने दें।
मेरी एक सलाह है कि आप हमेशा अपने जैसे ही लोगों को अपने मित्र बनायें। अगर आपका मित्र मोटा होगा तो आप हमेशा खुद को पतला महसूस करेंगे, आपका मित्र अमीर होगा तो आप हमेशा खुद को गरीब महसूस करेंगे, आपका मित्र लंबा होगा तो आप हमेशा खुद को छोटा महसूस करेंगे। ये सब चीजें आपको दुख देंगी आपको लगेगा कि मेरे मित्र के पास ही सब कुछ है मेरे पास तो कुछ है ही नहीं, तो कोशिश करें अपने जैसे लोगों को ही मित्र बनायें, यकीन माने आप पहले से दोगुना खुश रहेंगे। आपको जो बातें दुख दे रही हो उनको नजरअंदाज करिये कई बार हम फालतू की चीजों को लेकर दुखी रहते हैं जिनसे कोई फायदा भी नहीं है, केवल उन्हीं बातों को सुनिए जो आपको खुशी दें।
आपका कोई मित्र बहुत अमीर है या करियर के क्षेत्र में आपसे आगे है तो कोशिश करें कि आप उनसे अपनी तुलना ना करें क्योंकि ये चीज हमेशा आपको दुख देने वाली होगी। तुलना ना करें और दूसरों की सफलता को एक प्रेरणा की तरह लें कि जितनी मेहनत करके दूसरा इंसान सफल हुआ है हम उससे ज्यादा मेहनत करेंगे और सफल होंगे ऐसी भावना होनी चाहिए। फिर देखिये आपके दुख छूमंतर हो जायेंगे और आपके चारों ओर खुशी ही खुशी होगी।
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