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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Apr 6th 2021, 11:36 by subodh khare
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इस गुप्त आसूचना के आधार पर कि कुछ दर्जन नक्सली अमुक नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के सुकमा के गांव में छिपे हैं, करीब एक हजार जवान भेजे गए लेकिन वह सूचना जवानों को घेरकर मारने की नक्सली साजिश निकली। लौटते जवानों पर चारों ओर से फायरिंग हुई यानी नक्सलियों ने माइंडगेम में अफसरों को मात दे दी। कीमत 23 शहादत। इंटेलिजेंस की दुनिया में पहला पाठ है किसी भी आसूचना पर तत्काल भरोसा न रखना, जब तक उसे सत्यापित न किया जाए। फिर गोरिल्ला युद्ध में डिस्प्ले कम, स्ट्राइक ज्यादा का सिद्धांत कारगर होता है। एक हजार जवानों का जंगल में एक जगह एकत्र होना दूसरी गलती थी। क्या आईबी की राज्य इकाई के पास एक्शनेबल सूचना थी या सीआरपीएफ के अपने तंत्र की मुहर लगी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले दस सालों में घात लगाकर जवानों की हत्या की अधिकांश घटनाएं तब हुईं, जब सुरक्षाबल के दस्ते किसी ऑपरेशन पर जा रहे थे। यानी नक्सलियों की इंटेलिजेंस, हमारे इंटेलिजेंस से बेहतर है। दरअसल यह लड़ाई सिर्फ पैरामिलिट्री के जवान बढ़ाने या कोबरा दास्ता बनाने से ही होगी। नक्सल प्रभावित दंडकारण्य में कई राज्यों की पुलिस स्थानीय स्तर पर ज्यादा सक्रिय हो सकती है, लिहाजा प्रतिबद्ध पुलिस कैडर विकसित करना होगा। राज्यों की पुलिस को बेहतर का तंत्र विकसित करना होगा अन्यथा जवान शहीद होते रहेंगे।
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