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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Apr 6th 2021, 04:45 by VivekSen1328209
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मुरारी लाल अपने गांव के सबसे बड़े चोरों में से एक था। मुरारी रोजाना जेब में चाकू डालकर रात को लोगों के घर में चोरी करने जाता पेशे से चोर था लेकिर हर इंसान चाहता है कि उसका बेटा अच्छे स्कूल में पढ़ाई करे तो यही सोचकर बेटे का एडमिशन एक अच्छे स्कूल में करा दिया था। मुरारी का बेटा पढ़ाई में बहुत होशियार था लेकिन पैसे के अभाव में बारहवीं कक्षा के बाद नहीं पढ़ पाया। अब कई जगह नौकरी के लिए भी गया लेकिन कोई उसे नौकरी पर नहीं रखता था।
एक तो चोर का बेटा ऊपर से केवल बारवीं पास तो कोई नौकरी पर नहीं रखता था। अब बेचारा बेरोजगार की तरह ही दिन रात घर पर ही पड़ा रहता। मुरारी को बेटे की चिंता हुई तो सोचा कि क्यों ना इसे भी अपना काम ही सिखाया जाये। जैसे मैंने चोरी कर करके अपना गुजारा किया वैसे ये भी कर लेगा। यह सोचकर मुरारी एक दिन बेटे को अपने साथ लेकर गया। रात का समय था दोनों चुपके चुपके एक इमारत में पहुंचे। इमारत में कई कमरे थे सभी कमरों में रौशनी थी। देखकर लग रहा था कि किसी अमीर इंसान की हवेली है।
मुरारी अपने बेटे से बोला आज हम इस हवेली में चोरी करेंगे, मैंने यहां पहले भी कई बार चोरी की है और खूब माल भी मिलता है यहां लेकिन बेटा लगातार हवेली के आगे लगी लाइट को ही देखे जा रहा था। मुरारी बोला अब देर ना करो जल्दी अंदर चलो नहीं तो कोई देख लेगा। लेकिन बेटा अभी भी हवेली की रौशनी को निहार रहा था और वो करूण स्वर में बोला पिताजी मैं चोरी नहीं कर सकता। मुरारी बोला तेरा दिमाग खराब है जल्दी अंदर चल, बेटा बोला पिताजी जिसके यहां से हमने कई बार चोरी की है देखिये आज भी उसकी हवेली में रौशनी है और हमारे घर में आज भी अंधकार है। मेहनत और ईमानदारी की कमाई से उनका घर आज भी रौशन है और हमारे घर में पहले भी अधंकार था और आज भी है।
मैं भी ईमानदारी और मेहनत से कमाई करूंगा और उस कमाई के दीपक से मेरे घर में भी रौशनी होगी। मुझे ये जीवन में अंधकार भर देने वाला काम नहीं करना। मुरारी की आंखों में आंसू निकल रहे थे। उसके बेटे की पढ़ाई आज सार्थक होती दिख रही थी।
एक तो चोर का बेटा ऊपर से केवल बारवीं पास तो कोई नौकरी पर नहीं रखता था। अब बेचारा बेरोजगार की तरह ही दिन रात घर पर ही पड़ा रहता। मुरारी को बेटे की चिंता हुई तो सोचा कि क्यों ना इसे भी अपना काम ही सिखाया जाये। जैसे मैंने चोरी कर करके अपना गुजारा किया वैसे ये भी कर लेगा। यह सोचकर मुरारी एक दिन बेटे को अपने साथ लेकर गया। रात का समय था दोनों चुपके चुपके एक इमारत में पहुंचे। इमारत में कई कमरे थे सभी कमरों में रौशनी थी। देखकर लग रहा था कि किसी अमीर इंसान की हवेली है।
मुरारी अपने बेटे से बोला आज हम इस हवेली में चोरी करेंगे, मैंने यहां पहले भी कई बार चोरी की है और खूब माल भी मिलता है यहां लेकिन बेटा लगातार हवेली के आगे लगी लाइट को ही देखे जा रहा था। मुरारी बोला अब देर ना करो जल्दी अंदर चलो नहीं तो कोई देख लेगा। लेकिन बेटा अभी भी हवेली की रौशनी को निहार रहा था और वो करूण स्वर में बोला पिताजी मैं चोरी नहीं कर सकता। मुरारी बोला तेरा दिमाग खराब है जल्दी अंदर चल, बेटा बोला पिताजी जिसके यहां से हमने कई बार चोरी की है देखिये आज भी उसकी हवेली में रौशनी है और हमारे घर में आज भी अंधकार है। मेहनत और ईमानदारी की कमाई से उनका घर आज भी रौशन है और हमारे घर में पहले भी अधंकार था और आज भी है।
मैं भी ईमानदारी और मेहनत से कमाई करूंगा और उस कमाई के दीपक से मेरे घर में भी रौशनी होगी। मुझे ये जीवन में अंधकार भर देने वाला काम नहीं करना। मुरारी की आंखों में आंसू निकल रहे थे। उसके बेटे की पढ़ाई आज सार्थक होती दिख रही थी।
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