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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Apr 6th 2021, 03:11 by GuruKhare
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बहुत समय पहले की बात है, एक शहर में एक राजा रहता था। उस राजा को अपने सभी नगरवासियों से बहुत लगाव और प्रेम था। वह सबकी मदद करने के लिए तत्पर रहता था। एक सुबह राजा के यहां पर एक फकीर आया, उसने राजा की खातिरदारी और ईमानदारी देखकर राजा को एक चुटकी जितना सुरमा दिया और कहा कि हे राजन, यह सुरमा कोई सामान्य सुरमा नहीं है, यह चमत्कारी सुरमा है।
फकीर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि राजन इस सुरमे को जो भी नेत्रहीन अपनी आंखों से लगाएगा उसका अंधापन दूर हो जाएगा और वह फिर से देखने लगेगा। इतना कहकर फकीर तो राजा को सुरमा देकर अपनी राह पर निकल पड़ा।
राजा ने सोचा कि हमारे राज्य में नेत्रहीनों की संख्या तो बहुत ज्यादा है और सुरमे की मात्रा भी इतनी है कि सिर्फ एक आदमी ही इस सुरमे को अपनी आंखों में डाल सकता है तो क्यों न ऐसे आदमी को यह सुरमा दिया जाए तो इस तरह से इसके लायक हो। इसलिए राजा ने अपने अतिप्रिय आदमी को ही सुरमा देने का निश्चय किया। राजा को तभी अपने ईमानदार और प्रमाणिक वृद्ध मंत्री का ख्याल आया। उस मंत्री ने पूरी उम्र ईमानदारी और निष्ठा से राज्य की सेवा की थी, पर दोनों आंखों में तेज चले जाने से मंत्री को राजकार्य में से विदा लेनी पड़ी। अभी तक राजा को उस मंत्री की कमी महसूस हो रही थी।
राजा ने सोचा कि यदि मंत्री की रौशनी वापस आ जाये तो फिर से राज्य को मंत्री की सही और अनुभव भरी सेवा मिल सकती है, इसलिए राजा ने तनिक भी विचार किये बिना ही मंत्री को बुलाया और उनके हाथ में सुरमे की डिब्बी देकर कहा कि यह सुरमा आप अपनी दोनों आंखों में लगा दो, यह चमत्कारी सुरमा है इसको आंखों में लगाने से आपकी दृष्टि वापिस आ जाएगी यह सुरमा इतना ही है कि इसे सिर्फ दो आंखों में ही लगा सकते हैं।
फकीर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि राजन इस सुरमे को जो भी नेत्रहीन अपनी आंखों से लगाएगा उसका अंधापन दूर हो जाएगा और वह फिर से देखने लगेगा। इतना कहकर फकीर तो राजा को सुरमा देकर अपनी राह पर निकल पड़ा।
राजा ने सोचा कि हमारे राज्य में नेत्रहीनों की संख्या तो बहुत ज्यादा है और सुरमे की मात्रा भी इतनी है कि सिर्फ एक आदमी ही इस सुरमे को अपनी आंखों में डाल सकता है तो क्यों न ऐसे आदमी को यह सुरमा दिया जाए तो इस तरह से इसके लायक हो। इसलिए राजा ने अपने अतिप्रिय आदमी को ही सुरमा देने का निश्चय किया। राजा को तभी अपने ईमानदार और प्रमाणिक वृद्ध मंत्री का ख्याल आया। उस मंत्री ने पूरी उम्र ईमानदारी और निष्ठा से राज्य की सेवा की थी, पर दोनों आंखों में तेज चले जाने से मंत्री को राजकार्य में से विदा लेनी पड़ी। अभी तक राजा को उस मंत्री की कमी महसूस हो रही थी।
राजा ने सोचा कि यदि मंत्री की रौशनी वापस आ जाये तो फिर से राज्य को मंत्री की सही और अनुभव भरी सेवा मिल सकती है, इसलिए राजा ने तनिक भी विचार किये बिना ही मंत्री को बुलाया और उनके हाथ में सुरमे की डिब्बी देकर कहा कि यह सुरमा आप अपनी दोनों आंखों में लगा दो, यह चमत्कारी सुरमा है इसको आंखों में लगाने से आपकी दृष्टि वापिस आ जाएगी यह सुरमा इतना ही है कि इसे सिर्फ दो आंखों में ही लगा सकते हैं।
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