eng
competition

Text Practice Mode

बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सभी प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करवायी जाती है।

created Feb 23rd 2021, 12:45 by Sawan Ivnati


0


Rating

450 words
15 completed
00:00
वह सावन के रिमझिम की एक खुशनुमा दोपहर थी। आसमान पर काले बादल छाए थे। मां और पापा, दोनों घर की क्‍यारी में पिछले दो घंटे से व्‍यस्‍त थे। पापा उस किचन गार्डन की मिट्टी में दबी तमाम पुरानी ईंटों को बाहर निकाल रहे थे। मैं यूनिवर्सिटी के लिए निकल रहा था। उस छोटे-से करीब दस बाई चार फीट के किचन गार्डन में आम का एक पौधा लगाने का यज्ञ चल रहा था। पूछने पर पता चला कि यह आम्रपाली की कोई कलम थी, जो हमारे मामा किसी नर्सरी से खरीद कर लाए थे। मैंने बड़ी बेपरवाही से पूछा था कि यह आम्रपाली क्‍या बला है? पापा ने बताया कि यह दशहरी और नीलम के क्रॉस से बनी संकर प्रजाति है। पांच-छह साल में यह मीठे फल देने लगता है। पापा ने वह पौधा मां के हाथों से लगवाया, यह कहते हुए कि तुम्हारी मां के हाथ के लगे पौधे जी जाते हैं। अगले दिन देखा, तो पापा सड़क से सटे उस किचन गार्डन में लोहे की जाली लगवा रहे थे। शाम को यूनिवर्सिटी से लौटते वक्‍त मैं रोजाना देखता कि मां रबर के पाइप से उस क्‍यारी में पानी दे रही होतीं। दिन, महीने और साल बीतते गए। वह आम का पेड़ मेरी स्‍मृतियों से कभी अलग नहीं हो पाया। घर में जब भी अनुष्‍ठान होता, तो घर के ही आम के पेड़ की सूखी लकडि़यां और पल्‍लव पूजा-हवन के काम आते। लखनऊ जैसे ठेठ शहर की कॉलोनी के घर में आम का अपना पेड़ होना मां और पापा को कितनी खुशी का एहसास देता होगा, इसका अंदाजा मैं अब इस उम्र में आकर लगा सकता हूं। अब हमारे घर आने वाले हर वसंत का स्‍वागत आम का यही पेड़ करता है। जब आम का सीजन आता, तो लगता कि किसी ने पेड़ पर हरे बल्‍ब की झालर टांग दी हो। इसके बाद एक लंबा सिलसिला शुरू होता आमों की रखवाली का। भरी दोपहरी मां पेड़ पर पत्‍थर फेंकने वालों लड़कों को डपटतीं। कभी-कभी प्‍यार से बुलाकर टूटे हुए आम उन्‍हें बांट देतीं। और फिर एक दिन मां नहीं रहीं। जब वह घर से अंतिम यात्रा के लिए निकल रही थीं, तो मैंने महसूस किया कि उस दिन हम सबको बिलखता देख वह पेड़ भी रोया था। उस साल इस आम्रपाली पर एक भी बौर नहीं आया। अब उस घर में कोई नहीं रहता। मैं अपनी दुनिया में हूं, भाई और बहन अपने-अपने जहान में। और हम तीनों की दुनिया के बीच कहीं हमारे पापा हैं, जो एक अदृश्य और अंतरंग कड़ी बनकर हम तीनों से कहीं गहरे जुड़े हुए हैं। लेकिन हमारा वह घर वहीं है, आम का वह पेड़ वहीं है। हर साल जब भी गर्मियां आती हैं, उस आम्रपाली पर हजारों आम लद जाते हैं।  

saving score / loading statistics ...