eng
competition

Text Practice Mode

BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Jan 27th 2021, 09:39 by SubodhKhare1340667


1


Rating

362 words
4 completed
00:00
भारत एक विविधवर्णी संकल्‍पना है, जिसमें धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र, रूप-रंग, वेश-भूषा, रीति-रिवाज आदि की दृष्टि से व्‍यापक विस्‍तार मिलता है। यह विविधता यहीं नहीं खत्‍म होती, बल्कि पर्वत, घाटी, मैदान, पठार, समुद्र, नद-नदी, झील आद‍ि भू-रचनाओं सहित वनस्‍पति और प्रकृति के सभी नैसर्गिक पक्षों में भी प्रचुर मात्रा में अभिव्‍यक्‍त है। विविध कलाओं और विचारों की दुनिया में भी यहां तरह-तरह की उपलब्धियां उल्‍लेखनीय हैं। भारत विशिष्‍टताओं का एक अनोखा पुंज है,जिसका विश्‍व में अन्‍यत्र कोई साम्‍य ढूंढ़ना मुश्किल है। भारत विविधता का एक महान उत्‍सव सरीखा है, जहां बाहर से कभी आक्रांता होकर आए शक, हूण, तुर्क, मुगल आदि अनेक संस्‍कृतियों का संगम होता रहा। काल क्रम में देश अंग्रेजों के अधीन उपनिवेश हो गया और तीन सदियों की उनकी गुलामी से 1947 में स्‍वतंत्र हुआ।  
    एक राष्‍ट्र राज्‍य (‍नेशन स्‍टेट) के रूप में देश ने सार्वनुमति से 1950 में संविधान स्‍वीकार किया, जिसके अधीन देश के लिए शासन-प्रशासन की व्‍यवस्‍था की गई। एक गणतंत्र के रूप में भारत की नियति इस पर निर्भर करती है कि हम इसकी समग्र रचना को किस तरह ग्रहण करते हैं और संचालित करते हैं? पिछले सात दशकों में संविधान को अंगीकार करने और उस पर अमल करने में अनेक प्रकार की कठिनाइयां आईं और जन-आकांक्षाओं के अनुरूप उसमें अब तक शताधिक संशोधन किए जा चुके हैं। राज्‍यों की संरचना बदली है और उनकी संख्‍या भी बढ़ी है।  
    इस बीच देश की आंतरिक राजनीतिक-सामाजिक गतिविधियां लोकतंत्र को चुनौती देती रहीं, पर सारी उठापटक के बावजूद देश की सार्वभौम सत्‍ता अक्षुण्‍ण बनी रही। राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक परविर्तनों के साथ राज्‍य की नीतियों में परविर्तन भी होता रहा है। देश ने अनेक क्षेत्रों में महत्‍वपूर्णउपलब्धियां दर्ज की हैं। देश की यात्रा में विकास एक मूल मंत्र बना रहा, जिसमें उन्‍नति के लक्ष्‍यों की ओर कदम बढ़ाने की कोशि‍शें होती रहीं। देश तो केंद्र में रहा, परंतु वरीयताएं और उनकी और चलने के रास्‍ते बदलते रहे। पंडित नेहरू की समाजवादी दृष्टि से मनमोहन सिंह की उदार पूंजीवादी दृष्टि तक की यात्रा ने सामाजिक-आर्थिक जीवन के ताने-बाने को पुनर्परिभाषित किया। वैश्‍वीकरण, निजीकरण और उदारीकरण ने आर्थिक प्रतियोगिति के अवसरों को नया आकार दिया, जिसके परिणामस्‍वरूप समृद्ध  एवं अतिसमृद्ध लोगों की संख्‍या में अच्छी-खासी वृद्धि दर्ज हुई है।  
  

saving score / loading statistics ...