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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Jan 27th 2021, 08:04 by renukamasram


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बेशक आज लोग हमें महत्‍वहीन मानते और समझते हैं, पर हमारे भीतर एक महानतम व्‍यक्ति के लक्षण हैं। अपने इन गुणों पर हमने स्‍वयं ही संशयों का परदा डाल रखा है। जब हम इस परदे को हटा देंगे तो सारी दुनिया हमारी ओर देखने लगेगी। जीवन में मनुष्‍य जितनी प्रसन्नता पाने का संकल्‍प और प्रयास करता है, उतनी अवश्‍य पाता है। प्रसन्नता जीवन को सुखमय बनाने, सफलता की ओर जाने के लिए एकदम आवश्‍यक अंश है। आत्‍मविश्‍वास के साथ-साथ प्रसन्नता सोने में सुहोगे का काम करती है। आत्‍मविश्‍वास का प्रभाव उससे और चमकीला हो जाता है अर्थात् बढ़ जाया करता है। प्रसन्नता बाह्य पदार्थो में नहीं हमारे अंत:करण में है। अधिकांशत: देखा गया है कि यदि हम किसी कार्य को शुरू कर दें और दृढ़ निश्‍चय भी कर लें, तो तभी हमारे मन में कई तरह की शंकाएं जन्‍म ले लेती हैं और हम अपने चंचल मन के कारण अपनी कार्य करने की शक्ति को नष्‍ट कर लेते हैं और जब हमारे पास शक्ति ही नहीं रहेगी तो कार्य कैसे पूर्ण होंगे? दृढ़ निश्‍चयी हाेने पर भी मात्र सन्‍देह के कारण अपनी योग्‍यता पर शक करने वाले व्‍यक्ति अक्‍सर असफल होते देखे गए हैं। वे बस यही सोचते रहते हैं कि क्‍या करें? क्‍या करें? और इसी ऊहापोह में उनकी जिन्‍दगी के वे अनमोल क्षण बीत जाते हैं जो उनका भविष्‍य सुन्‍दर और सुनहरा बनाने में सहायक हो सकते थे। जो व्‍यक्ति भंवर में फंसे रहते हैं वे कामयाबी की मंजिल नहीं पा सकते और उनकी कार्यशक्ति नष्‍ट हो जाती है और उनका जीवन दु:खों से परिपूर्ण हो जाता है। संसार में अनगिनत ऐसे लोग हैं जो योग्‍यताओं के बावजूद मध्‍यम श्रेणी के बनकर रह गए हैं। उनके मन में उत्‍पन्न सन्‍देह यदि उन्‍हें पंगु बना देते तो वे जीवन में सफलता प्राप्‍त करके महान बन सकते थे। क्‍योंकि उनको अपने आप पर इस बात का विश्‍वास नहीं रहता कि वे इतने योग्‍य हैं। इसी अविश्‍वास और अकारण भय के कारण उनकी प्रतिभा कुण्ठित हो जाती हे और वे मात्र साधारण व्‍यक्ति बनकर रह जाते हैं। शंकाओं पर तभी विजयी हुआ जा सकता है, जब पूरे संकल्‍प के साथ यह सोचा जाए और विश्‍वास किया जाए कि मैं यह काम कर सकता हूं। मैं जो काम करना चाहता हूं, उसे कर सकता हूं और निश्‍चय ही करने में सफल हो जाऊंगा तो वह निश्‍चय ही आपकी हिम्‍मत और आपकी कार्यक्षमता को बढ़ाएगा, इससे आपके उत्‍साह में वृद्धि होगी। आपके मन में अपने काम के प्रति लगन उत्‍पन्न होगी। इस बात का स्‍मरण कि आपको कार्य का फल मिलने वाला है, आपको बराबर नया साहस प्रदान करेगा। इस प्रेरणा के फलस्‍वरूप आपकी कार्यक्षमता में और अधिक वृद्धि हो जाएगी। कुछ दिनों पहले मैंने नौजवानों की एक पत्रिका में एक युवक की जीवनगाथा पढ़ी। एक युवक एक फैक्‍टरी में तीन ही डॉलर प्रति सप्‍ताह पर काम करता था। अपना काम करते-करते वह इस बात को बड़ी गहराई से देखा करता था कि उसका मिल मालिक बिलों की जांच बड़ी सावधानी से करता है। वे बिल फ्रेंच और जर्मन भाषाओं में हुआ करते थे।  

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