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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jan 27th 2021, 04:26 by sandhya shrivatri
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अमरीका के उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेकर कमला हैरिस ने इतिहास रच दिया। वे भारतीय मूल की अमरीकी नागरिक है। हैरिस अमरीका की पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली एशियन अमरीकी मूल की उपराष्ट्रपति हैं। कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति पद पर चयनित होने को दुनिया भर में लैंगिक विभेदीकरण और नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई में एक उल्लेखनीय उपलब्धि के तहत देखा जा रहा है। साथ ही जीत पर दावेदारी के लिए मिले जनसमर्थन से समाज की मानसिकता और प्रगतिशील मूल्यों की बात स्वत: स्पष्ट हो जाती है। स्त्री अधिकार और समानीकरण के मुद्दे को लेकर हैरिस के पहले भाषण को देखना-समझना होगा, जिससे चीजें स्वत: ही स्पष्ट हो जाती है। हैरिस महिलाओं की बात मरते हुए कहती हैं कि महिलाएं हमारे लोकतंत्र की रीढ़ की हड्डी है, वे औरतें जिन्होंने 100 वर्ष पहले 19वें संशोधन के लिए लड़ाई लड़ने के अलावा दशकों मताधिकार के लिए संघर्ष किया है। यह उस संघर्ष की याद दिलाता है, जहां स्त्री को एक नागरिक होने की अर्हता हासिल करने के लिए एक लंबी लड़ाई छेड़नी पड़ी हो। इसी क्रम में हैरिस कहती हैं, इस पद पर पहुंचने वाली वह पहली महिला हो सकती हैं, लेकिन इस कड़ी में वह अंतिम नहीं हैं। वे कहती है, आज के इस पल ने हर वर्ग की महिलाओं के लिए रास्ता बनाया हे। इस कथन के पीछे जो दर्शन है वह यह कि स्त्री जीवन साहचर्य और आंकाक्षाओं की संभावनाओं का विस्तृत वितान रचने का सामर्थ्य रखता है पर इस वितान की सिकुड़न का भय भी गाहे-बगाहे सालता रहता है। एशियाई समाज में तो उस पर यह सोच लाद दी जाती है कि वह कैसे कपड़े पहने, कैसे हंसे, कैसे चले, कैसे बोले इत्यादि। स्त्री होने के साथ नस्लभेद की बात भी की जाए, तो चोट दोहरी हो जाती है। यदि स्त्री बड़े पद पर पहुंचकर स्त्री हितों की रक्षा और समतावादी समाज की स्थापना के प्रयास करे, तो बेहतर समाज की आशा की जा सकती है। कमला हैरिस अल्पसंख्यकों के मुद्दों और असमानता की खाई को पाटने के लिए लगातार काम करती रही है। ऐसे में उनसे कुछ उम्मीद तो बंधती है।
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