Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Jan 27th 2021, 04:06 by VivekSen1328209
0
323 words
3 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
यह कहानी उल्लू और हंस की है। उल्लू एक पेड़ पर बैठा था। अचानक एक हंस भी आकर बैठ गया। हंस ने कहा, उफ कैसी गर्मी है। सूरज आज बड़े प्रचंड से चमक रहा है। उल्लू बोला सूरज, यह सूरज क्या चीज है। इस वक्त गर्मी है यह तो ठीक है पर वह तो अंधेरा बढ़ने पर हो जाती है। हंस ने समझाने की कोशिश की, सूरज आसमान में है। उसकी रोशनी दुनिया में फैलती है, उसी से गर्मी भी फैलती है।
उल्लू हंसा तुमने रोशनी नाम की एक ओर चीज बतलाई तुम्हें किसने बहका दिया है हंस ने समझाने की बहुत कोशिश की मगर उस कोई असर नहीं पड़ा।
आखिर उल्लू बोला अच्छा चलो उस वटवृक्ष तक वहां मेरे सैकड़ों अकलमंद जाति भाई रहते हैं उनसे फैसला करा लो। हंस ने उल्लू की बात मान ली। जब दोनों उल्लूओं के समुदाय में पहुंचे तो उस उल्लू ने सबको सुना कर कहा यह हंस कहता है कि आसमान में इस वक्त सूरज चमक रहा है। उसकी रोशनी दुनिया में फैलती है। तमाम उल्लू हस पड़े क्या बाहियात बात है। भाई न सूरज कोई चीज है, रोशनी कोई वस्तु। इस बेवकूफ हंस के साथ तुम तो बेवकूफ न बनो।
सब उल्लू उस हंस को मारने झपटे। गनीमत यह थी कि उस वक्त दिन था, इसलिए हंस सही-सलामत बचकर उड़ गया। उड़ते हुए उसने मन में सोचा, बहुमत सत्य को असत्य तो नहीं कर सकता लेकिन जहां उल्लुओं का बहुमत हो, वहां किसी समझदार के लिए सत्य को उसके गले उतार सकना बड़ा मुश्किल है।
ऐसे ही आज के नेता हैं जो जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। बहुमत बनाने के लिए कुछ भी कर जाते हैं और उसी बहुमत के आधार पर देश की जड़ों को खोखला और जनता को भिखारी बनाते जा रहे हैं। हंस की तरह उल्लुओं रूपी नेताओं से बचने के लिए जनता मारी-मारी भटक रही है। जनता की जरूरतों की पूर्ति कौन करेगा। जनता को खुद ही समझदार होना चाहिए।
उल्लू हंसा तुमने रोशनी नाम की एक ओर चीज बतलाई तुम्हें किसने बहका दिया है हंस ने समझाने की बहुत कोशिश की मगर उस कोई असर नहीं पड़ा।
आखिर उल्लू बोला अच्छा चलो उस वटवृक्ष तक वहां मेरे सैकड़ों अकलमंद जाति भाई रहते हैं उनसे फैसला करा लो। हंस ने उल्लू की बात मान ली। जब दोनों उल्लूओं के समुदाय में पहुंचे तो उस उल्लू ने सबको सुना कर कहा यह हंस कहता है कि आसमान में इस वक्त सूरज चमक रहा है। उसकी रोशनी दुनिया में फैलती है। तमाम उल्लू हस पड़े क्या बाहियात बात है। भाई न सूरज कोई चीज है, रोशनी कोई वस्तु। इस बेवकूफ हंस के साथ तुम तो बेवकूफ न बनो।
सब उल्लू उस हंस को मारने झपटे। गनीमत यह थी कि उस वक्त दिन था, इसलिए हंस सही-सलामत बचकर उड़ गया। उड़ते हुए उसने मन में सोचा, बहुमत सत्य को असत्य तो नहीं कर सकता लेकिन जहां उल्लुओं का बहुमत हो, वहां किसी समझदार के लिए सत्य को उसके गले उतार सकना बड़ा मुश्किल है।
ऐसे ही आज के नेता हैं जो जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। बहुमत बनाने के लिए कुछ भी कर जाते हैं और उसी बहुमत के आधार पर देश की जड़ों को खोखला और जनता को भिखारी बनाते जा रहे हैं। हंस की तरह उल्लुओं रूपी नेताओं से बचने के लिए जनता मारी-मारी भटक रही है। जनता की जरूरतों की पूर्ति कौन करेगा। जनता को खुद ही समझदार होना चाहिए।
saving score / loading statistics ...