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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Jan 25th 2021, 10:43 by lovelesh shrivatri
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आजकल कम्प्यूटर की बुद्धि में चेतना डालने का काम विज्ञान के क्षेत्र में हो रहा है। आध्यात्मिक चेतना जगाने का काम भारत में सनातन परंपरा रही है। जिसे कुण्डलिनी और शक्तिपात के माध्यम से जागृत किया जाता है। स्वामी विवेकानंद आजीवन आध्यात्मिक चेतना और वेदांत के सत्य को जानने में लगे रहे। अपनी अंतरचेतना के बूते ही उन्होंने शिकागो की धर्मसभा में भारतीयता का उद्घोष किया था। विवेकानंद में ऊर्जा के इस पुंज को स्थानांतरित करके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने कहा था, आज अपना सर्वस्व तुझे देकर मैं रिक्त हो गया। अब भारत का हित और सम्मान तुम्हारा दायित्व है। यहीं से उनका आध्यात्मिक चेतना का स्तर शिखर पर पहुंचा। धर्म और विश्व-बंधुत्व के इस पाठ से विवेकानंद धर्मांतरण की स्पर्धा में लगे समुदायों को भी ललकारते रहे थे। अपनी चेतना के तेज को दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित या स्थापित करने की प्रक्रिया को सनातन विश्वास में कुण्डलिनी जागरण या शक्तिपात कहते हैं। इस साधना के बड़े साधक शिवपुरी के डॉ. रघुबीर सिंह गौर भी है। अब विज्ञान ऐसा मान रहा है, ब्रह्माण्ड में जो तत्व विद्यमान हैं, वे हर मनुष्य के मस्तिष्क में हैं। पराग्रहियों के अस्तित्व के बारे में अब वैज्ञानिक कह रहे है कि वे चेतना की सूक्ष्म तरंगों के रूप में ब्रह्माण्ड में विचरण करने में सक्षम हैं। क्योंकिे किसी यान द्वारा पृथ्वी तक की दूरी तय करना संभव ही नहीं है। इस धारणा की पुष्टि इस तथ्य से भी होती है कि अंतरिक्ष में हवा नहीं होती है। ध्वनि अथवा आवाज एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जाती, लेकिन तरंगे आ-जा सकती हैं। फलत: सौरमण्डल से जो रेडियो संकेत मिल रहे हैं, उन्हें एलियन द्वारा भेजे संकेत माना जा रहा है। अब कम्प्यूटर की बुद्धि में चेतना डालने के वैज्ञानिक प्रयासों की पड़ताल करते हैं। भारत के पहले क्वांटम कम्प्यूटर परम के निर्माता और देश में सुपर कम्प्यूटिंग प्रणाली सी-डेक के संस्थापक डॉ. विजय भटकर का कथन इस परिप्रेक्ष्य में अहम है। उनका कहना है, 'सत्य को जानने के लिए कभी पश्चिमी शोधकर्ता स्मृति, शरीर और दिमाग पर निर्भर रहते थे। परंतु अब विज्ञान की नवीनतम ज्ञानधारा क्वांटम यांत्रिकी अर्थात अति सूक्ष्मता का विज्ञान आने के बाद से उन्होंने चेतना पर भी बात शुरू कर दी है। अब वे अनुभव कर रहे है कि भारतीय भाववादी सिद्धांत को जाने बिना चेतना का आकलन संभव नहीं है। भविष्य में भाववादी सिद्धांत के आधार पर क्वांटम कम्प्यूटर अस्तित्व में आ जाता है तो उसकी अवधारणा भारतीय दर्शन के साथ पाश्चात्य तकनीक के समन्वित रूप में सामने आएगी। पाश्चात्य विज्ञान की बात तो करता हैं, लेकिन पदार्थ में चेतना विकसित करने की बात नहीं करता। क्योंकि वर्तमान भौतिकी पदार्थ को जड़ मानती है, किंतु सनातन विज्ञान ऐसा नहीं मानता, वह पदार्थ को भी चैतन्य मानता है। परिणामत: ब्रह्माण्ड का अणुओं से निर्मित ऊपर से जड़ दिखने वाला प्रत्येक तत्व परिवर्तनशील है।
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