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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Jan 25th 2021, 04:10 by sandhya shrivatri
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योग के अनुसार यह शरीर भी दिव्य हो सकता है। शिव के बारे में एक बात यह भी है कि वे अंगराज है। अंगराज का अर्थ है, अंगों के राजा। शिव अंगों के राजा है, क्योंकि उनका अपने सभी अंगों पर पूर्ण नियंत्रण है और इसीलिए उनका सम्पूर्ण शरीर ही दिव्य हो गया है। अगर आप की शारीरिक व्यवस्था सौ प्रतिशत चेतन हो जाए, जागरूक हो जाए, तो आप का शरीर दिव्य हो जाएगा। अगर भौतिक शरीर भी पूरी तरह सचेतन बन जाए, तो ये दिव्य शरीर होगा। यही वह बात है, जिसके कारण हम शिव को अंगराज कहते है। ये अंग मांस के एक चेतनाहीन पिंड के रूप में भी हो सकते है अथवा ये इतने चेतन, इतने जागरूक हो सकते हैं कि सम्पूर्ण शरीर ही दिव्य हो जाता है। ये वैसा ही है जैसे कि मांस के एक पिंड को एक देवता के रूप में रूपांतरित कर दिया जाए। ये वही विज्ञान है, जिसके द्वारा देवता बनाए जाते है। एक विशेष यंत्र अथवा आकार बना कर और उसमें एक विशेष प्रकार की ऊर्जा डाल कर, किसी पत्थर को भी एक दिव्य शक्ति बनाया जा सकता है। अगर एक पत्थर को एक दैवीय शक्ति बनाया जा सकता है, तो जीवित मांस के पुतले को एक दैवीय शक्ति क्यों नहीं बनाया जा सकता। वे अवश्य ही किया जा सकता है।
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