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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Jan 23rd 2021, 11:03 by SubodhKhare1340667


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14वीं शताब्‍दी के दौरान रानी पद्मावती सिंघल साम्राज्‍य की राजकुमारी थीं जिनकी शादी चित्‍तौड़ के राजपूत महाराजा रतनसेन से हुई थी, महाराज रतन सेन ने रानी पद्मावती को एक स्‍वयंवर में अपने दूसरी पत्‍नी के रूप में अर्जित किया था। यह उस समय की बात है जब दिल्‍ली में अल्‍लाउद्दीन खिलजी का शासन हुआ करता था, अल्‍लाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी को मारकर दिल्‍ली का सुल्‍तान बना था। इधर राणा रतनसेन के दरबार में राघव चेतन नाम का एक दुष्‍ट व्‍यक्ति रहता था, जिसकी दुष्‍टता का पता चलने पर राजा रतनसेन ने उसे राज्‍य से निकाल दिया। क्रोधित होकर राघव चेतन खिलजी के दरबार में गया और वहां अल्‍लाउद्दीन खिलजी के सामने रानी पद्मावती की सुन्‍दरता का खूब बखान किया।
    बस फिर क्‍या था, राघव चेतन के शब्‍दों ने अल्‍लाउद्दीन खिलजी की लालसा बढ़ा दी जिसके बाद खिलजी ने अपने सैनिकों को चित्‍तौड़ पर चढ़ाई करने का आदेश दे दिया। परन्‍तु चित्‍तौड़ पहुंचने पर उसे यह एहसास हुआ कि राणा रतनसेन से किले को आसानी से नहीं भेदा जा सकता है तब उसने राजा रतनसेन को यह संदेश भिजवाया कि वह चित्‍तौड़ के राजा और रानी दोनों से मिलना चाहता है, पर रानी पद्मावती इसके लिए तैयार नहीं हुई। राणा रतन सेन दिल्‍ली के सुल्‍तान की नाराजगी नहीं मोलना चाहते थे इसलिए उन्‍होंने रानी को मनाया और अंतत: रानी पद्मावती इस शर्त के साथ तैयार हुईं कि वो खिलजी से एक आईने के माध्‍यम से मिलेंगी।
    फिर मुलाकात हुई और अल्‍लाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती की झलक शीशे में देखी और तभी से उन पर मंत्रमुग्‍ध हो गया, उसी समय राणा रतन सेन को बंदी बना लिया गया और महल में यह संदेश भेजा गया कि यदि रानी पद्मावती को अल्‍लाउद्दीन के साथ नहीं भेजा गया तो रतनसेन का सर काट कर चित्‍तौड़ के दुर्ग पर लटका दिया जाएगा।
     

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