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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Jan 23rd 2021, 10:58 by VivekSen1328209


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नटवर लाल का जन्‍म बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। वैसे तो इनका नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्‍तव था। परन्‍तु ठगी की घटना को नटवर लाल के नाम से ज्‍यादा अंजाम देने के कारण ये इस नाम से मशहूर हो गए। ये सिलसिला यहीं नहीं रूका। नटवर लाल एक ऐसा मुहावरा बन गया कि अगर कोई ठगी की कोशिश या मजाक करे तो उसे लोग उसकी तुलना नटवर लाल से करने लगते हैं। नटवर लाल ने ये सब शुरू कैसे किया और उसके बाद क्‍या-क्‍या किया आइये पढते हैं। नटवर लाल ने वकालत पढ़ रखी थी। लेकिन उसका वकालत में मन नहीं लगा। वो तो कुछ और ही करना चाहता था तो उसने ठगी चोरी का रास्‍ता चुन लिया। उसकी सबसे पहली चोरी 1000 रूपए की थी। जो कि उसने अपने पडोसी के नकली हस्‍ताक्षर कर उनके बैंक खाते से निकलवाए थे। उसे तब यह ज्ञान हुआ कि वो किसी के भी जाली दस्‍तखत कर सकता है। बस फिर क्‍या था उसने इस हुनर का बखूबी उपयोग किया। नटवारलाल को ज्‍यादा अंग्रेजी नहीं आती थी। लेकिन जितनी आती थी वो उसके लिए काफी थी। अगर और ज्‍यादा अंग्रेजी आती होती तो शायद भारत ही नहीं विदेशों में भी उसके कारनामों की कहानियां सुनाई जाती। एक बार उसके पड़ोस के गांव में उस समय के राष्‍ट्रपति डाॅ. राजेन्‍द्र प्रसाद आये हुए थे। नटवर लाल को उस समय डॉ. राजेंद्र प्रसाद से मिलने का मौका मिला। नटवर  लाल ने उनके सामने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया और राष्‍ट्रपति के भी हुबहू हस्‍ताक्षर कर के सबको हैरान कर दिया। डाॅ. राजेंद्र प्रसाद नटवर लाल से काफी प्रभावित हुए। नटवर लाल ने उन्‍हें कहा कि यदि आप एक कहें तो में विदेशियों को उनका कर्जा वापस कर उन्‍हें का भारत का कर्जदार बना सकता हूँ। तब डा. राजेंद्र प्रसाद ने उसे समझाते हुए साथ चलने को कहा और नाैकरी दिलवाने का भी आश्वासन दिया। पर नटवर को अब नौकरी कहाँ सुहाती थी। वो तो बस अपनी मन मर्जी करना चाहता था। अब तो उसके हाथ ऐसा जादुई चिाराग लग चुका था। जिससे वो कुछ ऐसा करने वाला था जो कोई साधारण व्‍यक्ति सोच भी नही सकता। वो जादुई चिराग था राष्‍ट्रपति के हस्‍ताक्षर जिनका प्रयोग कर उसने तीन बार ताजमहल दो बार लाल किला और एक बार राष्‍ट्रपति भवन बेच दिया। वो इतने पर ही नहीं रूका बढ़ता ही चला गया। आज के जमाने में हम एक विषय के बारे में अक्‍सर चर्चा करते हैं कि फलाना मंत्री बिका हुआ है फलाना अफसर बिक चुका है।

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