eng
competition

Text Practice Mode

सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Jan 23rd 2021, 05:10 by renukamasram


2


Rating

318 words
4 completed
00:00
प्रत्‍येक मनुष्‍य में प्रतिभा है। अपनी प्रतिभा के बल पर वह सब कुछ कर सकता है, पर समस्‍या यह है कि इसका प्रदर्शन समय पर नहीं कर पाता। अवसर आने पर वह चूक जाता है। इसका मुख्‍य कारण उसके अन्‍दर विश्‍वास की कमी का होना है। विश्‍वास सबसे बड़ी चीज है। मेरा तो ऐसा मानना है कि विश्‍वास संसार की तमाम औषधियों से बढ़कर एक महौषधि है। वह सबमें विद्यमान है। दु:ख तो इस बात का है कि हम उसका उपयोग नहीं करते और बिना विश्‍वास के किसी भी कार्य में, किसी भी परिश्रम का इच्छित फल नहीं पाया जा सकता। यह एक सर्वमान्‍य सिद्धांत है। अपने विश्‍वास के बल पर ही मानव ने बड़ी-बड़ी सफलताएं अर्जित की हैं। शरीर के आरोग्‍य की कल्‍पना शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य की नींव है। रोग की दशा कृत्रिम, अस्‍थायी तथा बाह्य आरोपित हो, इसी कारण डाॅक्‍टर लोग दवा की अपेक्षा रोगी के मन में यह विश्‍वास जगाने की कोशिश करते हैं कि वह शीघ्र ही ठीक हो जाएगा। बस  एक-दो दिन दवा लीजिए। आप शीघ्र स्‍वस्‍थ हो जाएंगे, पक्‍की बात है। डाॅक्‍टर हर प्रकार से मरीज को सांत्‍वना देकर उसके मन में विश्‍वास जगाता हे। औषधि से अधिक विश्‍वास का प्रभाव होता है। रोगी के मन में अपने स्‍वस्‍थ होने का जितना गहरा विश्‍वास होगा, वह उतनी ही शीघ्रता से निरोगी हो जाएगा। कई बार देखा गया है कि साधारण चिकित्‍सक भी वह काम कर दिखाते है, जो बड़े-बड़े डॉक्‍टर भी नहीं कर पाते। इसका मूल कारण है कि वे रोगी के मन में विश्‍वास जगा देते हैं। विश्‍वास में बड़ी शक्ति है। विश्‍वास की बात मनुष्‍य के मन-मस्तिष्‍क पर गहरा प्रभाव डालती है। आत्‍मविश्‍वासी और अवसर के क्षणों को पकड़ लेने वाला व्‍यक्ति प्रगति के पथ पर बढ़ता चला जाता हे और जिनमें आत्‍मविश्‍वास की कमी है या हाथ में आए हुए अवसर से लाभ नहीं उठा पाते, वे स्‍वयं को दोष देते हुए केवल मुंह ताकते हुए खड़े रह जाते हें।

saving score / loading statistics ...