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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777

created Jan 22nd 2021, 14:47 by SARITA WAXER


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एक नगर में चित्रांगन नामक एक होशियार कुत्‍ता रहता था। एक साल उस नगर में भयानक अकाल पड़ा। चित्रांगन को खाने के लाले पड़ गए। परेशान होकर वह कहीं दूर के नगर में चला गया। नई जगह पर खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी। वह एक घर के पिछवाडे में रहता और यहां मनपसंद खाना खाता। एक दिन, कुछ वहीं के कुत्‍तों ने उसे देख लिया। उसे देखते ही वे समझ गए कि यह कुत्‍ता तो बाहर से आया है उन कुत्‍तों ने उस पर हमला कर दिया। सारे कुत्‍ते उस पर भोंकते हुए टूट पड़े और उसे जगह-जगह से बुरी तरह घायल कर दिया। आखिरकार, किसी तरह वह उन कुत्‍तों के चंगुल से छूट पाया। अब वह सोचने लगा, यह जगह छोड़ देने में ही भलाई है। मेरे नगर में भले ही अकाल पड़ा हो, लेकिन कम से कम वहां मेरे साथी तो हैं।

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