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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Jan 8th 2021, 10:28 by akash khare
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अब धर्मांतरण कानून को लेकर उठा विवाद अदालत के दरवाजे तक पहुंच गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्य सरकारों और केंद्र को नोटिस भेज कर चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत इस कानून की समीक्षा करेगी। जबसे कुछ राज्यों ने धर्मांतरण निरोधक और धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी कानून बनाए हैं, उन्हें लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। इन कानूनों को संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों का हनन करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला माना जा रहा है। ऐसा केवल किसी अवधारणा या आशंका के आधार पर नहीं कहा जा रहा। उत्तर प्रदेश में यह कानून लागू होने के बाद से कोई ऐसे लोगों को गिरफ्तार और प्रताड़ित किया जा चुका है, जिन्होंने अपना धर्म बदल कर विवाह किया। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है। जबसे योगी आदित्यनाथ ने वहां सत्ता की कमान संभाली है, तभी से लव जिहाद रोकने के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं को प्रताड़ित करने की शिकायतें मिलती रही हैं। योगी सरकार का मानना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ युवा जानबूझकर हिंदू लड़कियों को फांसते और फिर उनका धर्मांतरण करा कर उनसे विवाह करने का ढोंग रचाते हैं। इसी प्रवृत्ति पर रोक लगाने के मकसद से उसने धर्मांतरण अध्यादेश लागू किया है।
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