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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Dec 4th 2020, 11:48 by rajni shrivatri


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राष्‍ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने कुछ समय पहले देशभर के दिग्‍गज कलाकारों को एक छत के नीचे लाकर बड़े स्‍तर पर ऑनलाइन शिविर का आयोजन किया और बाद में कलाकारों द्वारा बनाई कलाकृतियों को अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित भी किया। संगीत नाटक अकादमी और दूसरी कला संस्‍थाएं भी बहुत से स्‍तरों पर कोरोना के समय में यही कर रही है। यह सही है, कोरोना से जीवन की रफ्तार धीमी हुई है पर मुझे लगता है, संगीत, नृत्‍य, नाट्य आदि कलाओं द्वारा काल के अनंतर अपना अलग समय गढ़ने और उनमें रम जाने, उनमें बस जाने की भी सीख दी है।  
सहमे जीवन में काल की छाया के इस दाैर में विचारे, यही वह समय है जब अंतर्मन अनुभूतियों में हम कलाओं का आनंद ले सकते है। कला क्‍या है? ध्‍वनि का सामंजस्‍य संगीत का, लय का सामाजस्‍य कविता का, रंग-रूप का सामंजस्‍य चित्र का सौन्‍दर्य है। सामंजस्‍य का यह संसार ही फिर समय की सर्जना करता है। आपने कोई चित्र भले इंटरनेट पर ही देखा है, मूर्ति का आस्‍वाद किया है, नृत्‍य की भंगिमाओं को जिया है- तत्‍काल कुछ समय बाद फिर से आस्‍वाद करेंगे तो कुछ भाव अलग ढंग से मन में जागेंगे। याद पड़ता है, इन पंक्तियों के लेखक ने कभी ख्‍यात निबंधकार विद्यानिवास मिश्र को अपना कविता संग्रह भेंट किया था।  

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