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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Dec 4th 2020, 08:56 by SubodhKhare1340667
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बहुत समय पहले की बात है। मेवाड़ में एक राणा राज्य करता था। वह बहुत ही दयालु और परोपकारी था। उसे खेल तमाषे का बड़ा शौक था। उसके दरबार में दूर-दूर के बाजीगर आकर तमाशा दिखाते थे। एक दिन मेवाड़ में एक नट परिवार आया। उस परिवार में एक मुखिया, उसकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी थी। बेटी का नाम गलकी था। गलकी बहुत ही सुंदर थी। उसके अंगों में इतनी लचक थी कि, वह उन्हें जैसा चाहती, तोड़ मरोड़ सकती थी। गलकी चमड़े की बनी रस्सी पर इतना आकर्षक नृत्य करती थी, जितना दूसरी नटनियां जमीन पर भी न कर सकतीं। उसके नृत्य को देखकर बड़े-बड़े लोग दांतों तले उंगली दबा लेते थे। कुछ ही दिनों में उसकी चर्चा सारे शहर में होने लगी। फिर तो गलकी केे खेल तमाषे बड़े-बड़े ठाकुरों और सामंतों की हवेलियों व डेरों में होने लगे।
एक दिन राणा का दरबार लगा हुआ था। खेल तमाशों की चर्चा चली तो चूड़ावत सरदार ने कहा, महाराज, आजकल हमारे शहर में एक चमत्कारी नटनी आई हुई है। वह रस्सी पर इतना अद्भूत नाच करती है कि लोग देखते ही रह जाते हैं राणा ने झट से पूछ लिया, कौन है वह इस पर दूसरे दरबारी ने कहा, 'महाराज, वह एक नटनी है, नाच की तो वह महारानी है। राणा ने तुरंत हुक्म दिया कि उसे बुलाया जाए। महाराणा का हुक्म पाते ही कुछ सेवक उस नट परिवार को बुला लाए। गलकी को राणा के सामने हाजिर किया गया। राणा ने उसे गौर से देखा और कहा, ऐ नटनी, तेरा तो बदन ही इतना नाजुक सा है, तू भला क्या नाच दिखाएगी। नटनी अपने फन में माहिर थी, राणा का इस तरह बोलना उसे अपमानजनक लगा। उसके खून में तो जोश था ही, वह लापरवाह और निडर भी थी। तपाक से बात बोल गई, माई बाप आप हमारे अन्नदाता हैं, आपके पांवों की हम धूल चाटते हैं। लेकिन छोटे मुंह आज मैं बड़ी बात कह रही हूं। आपने अभी तक बंद महलों में ही नाच देखे हैं, खुले आकाश के नीचे जब हमारा नाच देखेंगे, तब असलियत जानेंगे।
राणा को गरीब नटनी की बात लग गई। वह कड़ककर बोले ऐसा तू कौन सा नाच दिखाएगी नटनी, उसने कहा आपकी झील पर एक रस्सी बंधेगी और उस पर तलवार लेकर नाचूंगी। सुनकर राणा भौंचक्के रह गए। बोले, हमें विश्वास नहीं होता। गलकी महान कलाकार थी, वह गर्व से बोली आप हुक्म तो दीजिए, फिर अपनी आंखों से देखिएगा। उसका साहस देखकर राणा ने चुनौती दी यदि तूने पिछौला झील को रस्से पर नाचते हुये पार कर लिया तो आधा राज्य तुझे दे देंगे।
एक दिन राणा का दरबार लगा हुआ था। खेल तमाशों की चर्चा चली तो चूड़ावत सरदार ने कहा, महाराज, आजकल हमारे शहर में एक चमत्कारी नटनी आई हुई है। वह रस्सी पर इतना अद्भूत नाच करती है कि लोग देखते ही रह जाते हैं राणा ने झट से पूछ लिया, कौन है वह इस पर दूसरे दरबारी ने कहा, 'महाराज, वह एक नटनी है, नाच की तो वह महारानी है। राणा ने तुरंत हुक्म दिया कि उसे बुलाया जाए। महाराणा का हुक्म पाते ही कुछ सेवक उस नट परिवार को बुला लाए। गलकी को राणा के सामने हाजिर किया गया। राणा ने उसे गौर से देखा और कहा, ऐ नटनी, तेरा तो बदन ही इतना नाजुक सा है, तू भला क्या नाच दिखाएगी। नटनी अपने फन में माहिर थी, राणा का इस तरह बोलना उसे अपमानजनक लगा। उसके खून में तो जोश था ही, वह लापरवाह और निडर भी थी। तपाक से बात बोल गई, माई बाप आप हमारे अन्नदाता हैं, आपके पांवों की हम धूल चाटते हैं। लेकिन छोटे मुंह आज मैं बड़ी बात कह रही हूं। आपने अभी तक बंद महलों में ही नाच देखे हैं, खुले आकाश के नीचे जब हमारा नाच देखेंगे, तब असलियत जानेंगे।
राणा को गरीब नटनी की बात लग गई। वह कड़ककर बोले ऐसा तू कौन सा नाच दिखाएगी नटनी, उसने कहा आपकी झील पर एक रस्सी बंधेगी और उस पर तलवार लेकर नाचूंगी। सुनकर राणा भौंचक्के रह गए। बोले, हमें विश्वास नहीं होता। गलकी महान कलाकार थी, वह गर्व से बोली आप हुक्म तो दीजिए, फिर अपनी आंखों से देखिएगा। उसका साहस देखकर राणा ने चुनौती दी यदि तूने पिछौला झील को रस्से पर नाचते हुये पार कर लिया तो आधा राज्य तुझे दे देंगे।
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