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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Nov 21st 2020, 10:04 by GuruKhare


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एक करोड़पति ने अपने बड़े से घर की रक्षा के लिए एक कुत्‍ता पाला। उसके घर के दरवाजे दो तरफ से खुलते थे। आगे से भी और पीछे से भी। आगे से कुत्‍ता रखवाली करता था। एक बार बैठे-बैठे उस आदमी के दिमाग में एक ख्‍याल आया कि क्‍यों पीछे के दरवाजे की रखवाली के लिए एक शेर पाल लिया जाए। फिर क्‍या था वह शेर ले लाया और उसे खूब मांस खिलाने लगा। समय बीतता गया। कुत्‍ते का खर्च कम था लेकिन वो किसी चिड़िया को भी पर नहीं मारने देता था। जरा सी आवाज पर वह खड़ा होकर भौंकने लगता। वहीं शेर बिल्‍कुल उससे अलग था। वह खाता तो कुत्‍ते से कई गुना ज्‍यादा था लेकिन सारा दिन बस सोता रहता। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि आस-पास क्‍या हो रहा है। उन्‍हें पालने वाला व्‍यक्ति बहुत निराश हुआ। उसे शेर से जो उम्‍मीद थी वह अब नहीं रही। शेर उसे अब बोझ लगने लगा। उसे तो ये तक शक होने लगा था कि ये शेर है भी या नहीं। इसे रखने का कोई फायदा नहीं है। इसी तरह कुछ दिन बीते और एक दिन उस करोड़पति के घर आगे के दरवाजे कुछ चोर घुस आये।
    कुत्‍ते ने भौंकने की कोशिश की लेकिन कुत्‍तों ने उसके आगे मांस का एक टुकड़ा फेंक दिया। कुत्‍ता भौंकना बंद कर के मांस का टुकड़ा खाने लगा। दूसरी तरफ पिछले दरवाजे पर बैठे शेर को आगे के दरवाजे पर कुछ हलचल महसूस हुई। उसे कुछ अनजान लोगों की गंध आई। कुत्‍ते का चुप रहना भी उसे हजम हुआ। समय गंवाते हुए शेर आगे वाले दरवाजे पर गया। जैसे ही वो वहां पहुंचा चोरों ने उसके सामने भी मांस का टुकड़ा फेंक दिया। लेकिन शेर ने मांस के टुकड़े को अनदेखा करते हुए उन चोरों पर हमला कर दिया। एक चोर शेर के पंजे के नीचे आया और बाकी भाग गए। जिस चोर को शेर ने पकड़ा था वह चिल्‍लाने लगा। उसके चिल्‍लाने की आवाज से सभी घर वाले जाग गए। जब सभी आगे वाले दरवाजे पर पहुंचे तो उन्‍होंने देखा कि उनका वफादार कुत्‍ता मांस का टुकड़ा खाने में व्‍यस्‍त था। और जो शेर उन्‍हें बोझ लग रहा था वह दुश्‍मन की छाती फाड़ चुका था। उस करोड़पति को इस बात का आभास हो चुका था कि जिसके सपने बड़े हों वो छोटी-मोटी बहस में नहीं पड़ते। ना ही हर आने जाने वाले को अपने होने का अहसास करवाते हैं। ऐसे लोग चुपचाप अपना काम करते हैं और मौका आने पर अपना हुनर दिखाते हैं। ऐसा इन्‍सान कभी भी अपने बारे में बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बताता। उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उसके बारे में क्‍या सोचते हो। बल्कि उसे इस बात से फर्क पड़ता है कि वो अपना काम ईमानदारी से कर रहा है या नहीं।
     
     

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