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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Oct 21st 2020, 16:11 by Sai computer typing


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एक बार एक जंगल के निकट दो राजाओं के बीच घोर युद्ध हुआ। एक जीता दूसरा हारा। सेनाएं अपने नगरों को लौट गई। बस, सेना का एक ढोल पीछे रह गया। उस ढोल को बजा-बजाकर सेना के साथ गए भांड चारण रात को वीरता की कहानियां सुनाते थे। युद्ध के बाद एक दिन आंधी आई। आंधी के जोर में वह ढोल लुढकता-पुढकता एक सूखे पेड़ के पास जाकर टिक गया। उस पेड़ की सूखी टहनियां ढोल से इस तरह से सट गई थी कि तेज हवा चलते ही ढोल पर टकरा जाती थी और टमाढम की गुंजायमान आवाज होती।  
एक सियार उस क्षेत्र में घूमा था। उसने ढोल की आवाज सुनी। वह बड़ा भयभीत हुआ ऐसी अजीब आवाज बोलते पहले उसने किसी जानवर को नहीं सुना था। वह वह सोचने लगा कि यह कैसा जानवर हैं, जो ऐसी जोरदार बोली बोलता हैं ढमाढम। सियार छिपकर ढोल को देखता रहता, यह जानने के लिए यह जीव उड़ने वाला हैं या चार टांगो पर दौडने वाला।  
एक दिन सियार झाडी के पीछे छुप कर ढोल पर नजर रखे था। तभी पेड़ से नीचे उतरती हुई एक गिलहरी कूदकर ढोल पर उतरी। हलकी-सी ढम की आवाज भी हुई। गिरहरी ढोल पर बैठी दाना कुतरनी रही। सियार बडबडाया ओह! तो यह कोई हिंसक जीव नहीं हैं। मुझे भी डरना नहीं चाहिए। सियार फूंक-फूककर कदम रखता ढोल के निकट गया। उसे सूंघा। ढोल का उसे कहीं सिर नजर आया और पैर। तभी हवा के झुंके से टहनियां ढोल से टकराई। ढम की आवाज हुई और सियार उछलकर पीछे जा गिरा। अब समझ आया। सियार उढने की कोशिश करता हुआ बोला यह तो बाहर का खोल हैं। जीव इस खोल के अंदर हैं। आवाज बात रही हैं कि जो कोई जीव इस खोल के भीतर रहता हैं, वह मोटा-ताजा होना चाहिए। चर्बी से भरा शरीर। तभी ये ढम-ढम की जोरदार बोली बोलता है। अपनी मांद में घूसते ही सियार  बोला सियारी दावत खाने के लिए तैयार हो जा। एक मोटे-ताजे शिकार का पता लगाकर आया हूं। सियारी पूछने लगी तुम उसे मारकर क्‍यों नही लाए? सियार ने उसे झिडकी दी क्‍योंकि मैं तेरी तरह मूर्ख नहीं हूं। वह एक खोल के भीतर छिपा बैठा हैं। खोल ऐसा हैं कि उसमें दो तरफ सूखी चमड़ी के दरवाजे हैं। मैं एक तरफ से हाथ डाल उसे पकडने की कोशिश करता तो वह दूसरे दरवाजे से भाग जाए।  
चांद निकलने पर दोनों ढोल की ओर गए। जब वह निकट पहुंच ही रहे थे कि फिर हवा से टहनियां ढोल पर टकराई और ढम-ढम की आवाज निकली। सियार सियारी के कान में बोला सुनी उसकी आवाज। जरा सोच जिसकी आवाज ऐसी गहरी हैं, वह खुद कितना मोटा ताजा होगा। दोनों ढोल को सीधा कर उसके दोनों ओर बैठे और लगे दांतो से ढोल के दोनों चमडी वाले भाग के किनारे फाडने। जैसे ही चमडियां कटने लगी, सियार बोला होशियार रहना। एक साथ हाथ अंदर डाल शिकार को दबोचना है। दोनो ने हाथ दाला अंदर कुछ नही था।  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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