eng
competition

Text Practice Mode

योगेश स्‍टेनो टायपिंग सेंटर छतरपुर (म.प्र.) 9993129162...

created Sep 26th 2020, 05:47 by Yogesh


0


Rating

391 words
0 completed
00:00
    महोदय, वित्‍तमंत्री जी द्वारा सदन में पेश बजट में निहित भावनाओं से किसी का मतभेद नहीं हो सकता लेकिन जब हम इस नए बजट को आज की परिस्थितियों की कसौटी पर परखते हैं तो यह उचित सिद्ध नहीं होता। नये बजट में विकास की दर बढ़ेगी, इसका कोई आश्‍वासन नहीं दिया गया है। कमजोर वर्ग को राहत मिलगी इसके सम्‍बन्‍ध में भी कोई ठोस उपाय या योजना नहीं दी गई है। अब कहा जा रहा है कि बजट समाजवादी नहीं है, क्‍योंकि सरकार द्वारा पेश इस बजट से देश में समाजवाद नहीं सकता। यह भी कहा जा रहा है कि गरीबी मिटाने के लिए हमारे वित्‍त मंत्री के पास कोई जादू का डंडा नहीं है। मेरे विचार से यह बजट विकास विरेधी बजट है। यह बजबट विषमता कम नहीं करता और यह बजट विकास की दर बढ़ाने के लिए जिन साधनों को जुटाया जा सकता है उन साधनों को जुटाने का साहसपूर्ण प्रयत्‍न ही करता है।  
    मुझे आश्‍चर्य है कि प्रत्‍येक बजट में योजना के नाम पर अधिक रूपये रखने की बात कहीं जाती है और इस बजट में भी वित्‍त मंत्री महोदय ने अपने बजट भाषण में कहा है कि हमने करोड़ों रूपये इस वर्ष की योजनाओं के लिए रखे हैं। जब वित्‍त मंत्री जी ने यह बात कहीं तो अनेक माननीय सदस्‍यों ने बधाई दी। मैं जानना चाहता हूँ कि क्‍या योजना की कसौटी, सफलता या लक्ष्‍यों की प्राप्ति केवल उसके लिए रूपया रखने तक ही सीमित है ? यदि आप अंतरिम बजट को देखें और वित्‍त मंत्री महोदय के उस समय के भाषण को पढ़े तो आपको पता चलेगा कि पिछले बजट में हमने अलग-अलग मदों के लिए योजना के वास्ते कई जगह रूपया रखा था लेकिन यह रूपया खर्च नहीं हुआ। मेरे कहने का अर्थ यह है कि जिस काम के लिए रूपया रखा जाए और वह खर्च हो तो आश्‍चर्य की बात है।      
    गरीबी हटाओ का नारा लगाया गया, गरीबी एकदम से नहीं हटाई जा सकती है लेकिन यदि गरीबी नहीं हटे तो कम-से-कम घटे अवश्‍य। आज सरकार द्वारा बजट में जो कर लाए गए हैं, क्‍या वे आम आदमी पर पहले से ही पड़े हुए बोझ को और बढ़ाने वाले नहीं हैं ? मैं वित्‍त मंत्री महोदय से पहले रेल मंत्री द्वारा पेश किए गए रेल बजट में किराये और माल-भाड़े की दर में भी वृद्धि की गई है। धन्‍यवाद।  

saving score / loading statistics ...