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योगेश स्टेनो टायपिंग सेंटर छतरपुर (म.प्र.) 9993129162...
created Sep 26th 2020, 05:30 by Yogesh
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सभापति जी, मैं इस बिल का विरोधी नहीं हूँ। मैं अपने कुछ संशोधनों के साथ इस बिल का समर्थन करना चाहता हूँ। मैं कहना चाहता हूँ कि राष्ट्रीयकरण से पूर्व जिस ट्रैक्टर की कीमत साठ हजार रूपये थी, राष्ट्रीयकरण के बाद उसकी कीमत दुगुनी हो गई है। जब से यह काम सरकार ने अपने हाथ में लिया है तब से ट्रैक्टराेें के दाम बढ़ गए हैं। यही कारण है कि सरकार को इसमें इतना लाभ मालूम पड़ रहा है। ये मनमानी कीमत किसानों से वसूल कर रहे हैं। जितने दाम बढ़े हैं उस हिसाब से तो इन कारखानों को करोड़ो रूपये का लाभ होना चाहिए था।
सभापति जी, माननीय सदस्य महोदय मंत्री बनने से पूर्व जब अपना भाषण आरम्भ करते थे तो बहुत तालियाँ बजती थीं, लेकिन मंत्री बनने के बाद हमने इनका उस प्रकार का भाषण नहीं सुना। आजकल तो जो सरकारी अधिकारी इनसे कहते हैं उसे वह आसानी से समझ लेते हैं और अपनी बातें भूल जाते हैं। इसलिए इस बिल में मैंने जो संशोधन किया है उसके द्वारा मैं चाहता हूँ कि यह जो इतनी बड़ी लूट किसानों की हो रही है, वह समाप्त हो। यह बिल पचास पेज का है लेकिन किसानों को छोटे ट्रैक्टर मिलेंगे या बड़े ट्रैक्टर मिलेंगे इस बात का कोई जिक्र नहीं है। सारे देश में कानून के द्वारा किसानों के पास छोटी-छोटी जमीनें होती हैं, लेकिन ट्रैक्टर का कारखाना अभी तक बड़े ट्रैक्टर ही बना रहा है। ट्रैक्टरों के दाम भी बहुत बढ़ गए हैं। यदि किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए सरकारी कर्ज न मिले तो कोई किसान इतना महँंगा ट्रैक्टर नहीं खरीद सकता। अभी तो ट्रैक्टर खरीदने के लिए एक दो साल बाद ही किसनों की जमीन बिक जाती है, क्योंकि उन्हें सरकारी कर्ज वापिस करना होता है।
महोदय, यद्यपि मैं इस बिल का समर्थन करता हूँ लेकिन मंत्री महोदय से यह कहना चाहता हूँ कि इस पर जनता की राय ली जाए। इसके साथ ही ऐसा बिल भी लाया जाए जिसमें यह विवरण हो कि ट्रैक्टर महँगा होगा या सस्ता होगा और उसमें किस प्रकार का इंजर होगा। बिल में यह प्रावधान भी हो कि राष्ट्रीयकरण के बाद जो भ्रष्टाचार बढ़ गया है उसको कैसे दूर किया जाएगा। तभी हम समझेंगे कि वास्तव में इस देश में कृषि क्रांति आने वाली है। तभी इस विधेयक की कोई सार्थकता होगी और किसानों को राहत मिलेगी। धन्यवाद।
सभापति जी, माननीय सदस्य महोदय मंत्री बनने से पूर्व जब अपना भाषण आरम्भ करते थे तो बहुत तालियाँ बजती थीं, लेकिन मंत्री बनने के बाद हमने इनका उस प्रकार का भाषण नहीं सुना। आजकल तो जो सरकारी अधिकारी इनसे कहते हैं उसे वह आसानी से समझ लेते हैं और अपनी बातें भूल जाते हैं। इसलिए इस बिल में मैंने जो संशोधन किया है उसके द्वारा मैं चाहता हूँ कि यह जो इतनी बड़ी लूट किसानों की हो रही है, वह समाप्त हो। यह बिल पचास पेज का है लेकिन किसानों को छोटे ट्रैक्टर मिलेंगे या बड़े ट्रैक्टर मिलेंगे इस बात का कोई जिक्र नहीं है। सारे देश में कानून के द्वारा किसानों के पास छोटी-छोटी जमीनें होती हैं, लेकिन ट्रैक्टर का कारखाना अभी तक बड़े ट्रैक्टर ही बना रहा है। ट्रैक्टरों के दाम भी बहुत बढ़ गए हैं। यदि किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए सरकारी कर्ज न मिले तो कोई किसान इतना महँंगा ट्रैक्टर नहीं खरीद सकता। अभी तो ट्रैक्टर खरीदने के लिए एक दो साल बाद ही किसनों की जमीन बिक जाती है, क्योंकि उन्हें सरकारी कर्ज वापिस करना होता है।
महोदय, यद्यपि मैं इस बिल का समर्थन करता हूँ लेकिन मंत्री महोदय से यह कहना चाहता हूँ कि इस पर जनता की राय ली जाए। इसके साथ ही ऐसा बिल भी लाया जाए जिसमें यह विवरण हो कि ट्रैक्टर महँगा होगा या सस्ता होगा और उसमें किस प्रकार का इंजर होगा। बिल में यह प्रावधान भी हो कि राष्ट्रीयकरण के बाद जो भ्रष्टाचार बढ़ गया है उसको कैसे दूर किया जाएगा। तभी हम समझेंगे कि वास्तव में इस देश में कृषि क्रांति आने वाली है। तभी इस विधेयक की कोई सार्थकता होगी और किसानों को राहत मिलेगी। धन्यवाद।
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