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साई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Sep 14th 2020, 10:58 by rajni shrivatri
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हिन्दी दिवस भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन, समद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा भी है। वह दुनियाभर में हमें सम्मान भी दिलाती है। यह भाषा है हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की। हिन्दी ने हमें विश्व में एक नई पहचान दिलाई है। हम आपको बता दें कि हिन्दी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है।
भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। धीरे-धीरे हिन्दी भाषा का प्रचलन बढ़ा और इस भाषा ने राष्टभाषा का रूप ले लिया। अब हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत प्रसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रूख कर रहे हैं। एक हिन्दुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानी हिन्दी तो आनी ही चाहिए, साथ ही हमें हिन्दी का सम्मान भी करना सीखना होगा।
हिन्दी दिवस भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा है। राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिन्दी हिन्दुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। इसी कर्तव्य हम 14 सितंबर के दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाते है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, साक्षर से निरक्षर तक वर्ग का व्यक्ति हिन्दी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है। यही इस भाषा की पहचान भी है कि इसे बोलने और समझने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती।
आजकल अंग्रेजी बाजार के चलते दुनियाभर में हिन्दी जानने और बोलने को बाजार में अपनढ़ या एक गंवार के रूप में देखा जाता है या यह कह सकते हैं कि हिन्दी बोलने वालों को लोग तुच्छ नजरिए से देखते है। यह कतई सही नहीं है। हम हमारे ही देश में अंग्रेजी के गुलाम बन बैठे है और हम ही अपनी हिन्दी भाषा को वह मान-सम्मान नहीं दे पा रहे है, जो भारत और देश की भाषा के प्रति हर देशवासियों के नजर में होना चाहिए। घर पर बच्चा अतिथियों को अंग्रेजी में कविता आदि सुना दे तो माता-पिता गर्व महसूस करने लगते हैं। इन्ही कारणों से लोग हिन्दी बोलने से घबराते है। जो कि गलत है।
भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। धीरे-धीरे हिन्दी भाषा का प्रचलन बढ़ा और इस भाषा ने राष्टभाषा का रूप ले लिया। अब हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत प्रसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रूख कर रहे हैं। एक हिन्दुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानी हिन्दी तो आनी ही चाहिए, साथ ही हमें हिन्दी का सम्मान भी करना सीखना होगा।
हिन्दी दिवस भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा है। राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिन्दी हिन्दुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। इसी कर्तव्य हम 14 सितंबर के दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाते है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, साक्षर से निरक्षर तक वर्ग का व्यक्ति हिन्दी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है। यही इस भाषा की पहचान भी है कि इसे बोलने और समझने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती।
आजकल अंग्रेजी बाजार के चलते दुनियाभर में हिन्दी जानने और बोलने को बाजार में अपनढ़ या एक गंवार के रूप में देखा जाता है या यह कह सकते हैं कि हिन्दी बोलने वालों को लोग तुच्छ नजरिए से देखते है। यह कतई सही नहीं है। हम हमारे ही देश में अंग्रेजी के गुलाम बन बैठे है और हम ही अपनी हिन्दी भाषा को वह मान-सम्मान नहीं दे पा रहे है, जो भारत और देश की भाषा के प्रति हर देशवासियों के नजर में होना चाहिए। घर पर बच्चा अतिथियों को अंग्रेजी में कविता आदि सुना दे तो माता-पिता गर्व महसूस करने लगते हैं। इन्ही कारणों से लोग हिन्दी बोलने से घबराते है। जो कि गलत है।
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