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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Aug 4th 2020, 10:30 by sandhya shrivatri
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एक जंगल में एक कछुआ रहता था। वह जब भी पक्षियों को उड़ते देखता तो उदास हो जाता। वह सोचता, काश! मैं भी इन पक्षियों की तरह उड़ पाता। एक दिन वह अपनी मित्र के पास जाकर बोला क्या तुम मुझे उड़ना सिखा सकती हो। चील हंसते हुए बोली नहीं। तुम कैसे उड़ सकते हो? तुम्हारे तो पंख ही नहीं है। चील ने कछुए को समझाने की बहुत कोशिश की पर वह मानने को तैयार ही नहीं था। वह चील से बोला, मैं कुछ नहीं जानता। बस तुम मुझे आकाश में उड़ना सिखाओं। हारकर चील उसे चोंच में पकड़कर आकाश में ले गई वहां जाकर बोली, अब उड़ने की कोशिश करो। जैसे ही उसने चोंच खोली, कछुआ धड़ाम से जमीन पर आ गिरा और मर गया।
शिक्षा- किसी बात के लिए हठ करना उचित नहीं होता।
एक छोटा बच्चा हर रोज स्कूल जाता था। एक दिन वह अपने एक सहपाठी की किताब चुराकर घर ले आया। घर आकर उसने वह किताब अपनी मां को दिखाते हुए कहा, देखो मां मैं कितनी सुंदर किताब चुराकर लाया हूं। किताब देखकर मां बहुत प्रसन्न हुआ और बोली, शबाश बेटा तुम बहुत चतुर हो। इस तरह बच्चा हमेशा बाहर से कोई न कोई वस्तु चुरकार लाता और मां उसे समझाने की बजाय और बढावा देती।
आखिर में बड़ा होकर वह एक नामी चोर बन गया। एक दिन पुलिस उसे पकड़कर ले जाने लगी तो उसकी मां रोते हुए उसके पीछे चल पड़ी। चोर ने सिपाही से एक क्षण रूकने के लिए कहा। फिर वह अपनी मां की ओर घूमा फिर बोला मां अब रो मत, क्योंकि मुझे चोर बनाने में तुम्हारा हाथ है। यदि तुमने बचपन में मुझे चोरी करने पर सजा दी होती तो आज यह नौबत न आती।
शिक्षा- कभी भी गलत काम को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
शिक्षा- किसी बात के लिए हठ करना उचित नहीं होता।
एक छोटा बच्चा हर रोज स्कूल जाता था। एक दिन वह अपने एक सहपाठी की किताब चुराकर घर ले आया। घर आकर उसने वह किताब अपनी मां को दिखाते हुए कहा, देखो मां मैं कितनी सुंदर किताब चुराकर लाया हूं। किताब देखकर मां बहुत प्रसन्न हुआ और बोली, शबाश बेटा तुम बहुत चतुर हो। इस तरह बच्चा हमेशा बाहर से कोई न कोई वस्तु चुरकार लाता और मां उसे समझाने की बजाय और बढावा देती।
आखिर में बड़ा होकर वह एक नामी चोर बन गया। एक दिन पुलिस उसे पकड़कर ले जाने लगी तो उसकी मां रोते हुए उसके पीछे चल पड़ी। चोर ने सिपाही से एक क्षण रूकने के लिए कहा। फिर वह अपनी मां की ओर घूमा फिर बोला मां अब रो मत, क्योंकि मुझे चोर बनाने में तुम्हारा हाथ है। यदि तुमने बचपन में मुझे चोरी करने पर सजा दी होती तो आज यह नौबत न आती।
शिक्षा- कभी भी गलत काम को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
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