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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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असुर सम्राट बलि एक बहुत ही बड़ा भक्‍त था भगवान विष्‍णु का बलि की इतनी ज्‍यादा भक्ति से प्रसन्‍न होकर विष्‍णु जी ने बलि के राज्‍य की रक्षा स्‍वयं करनी शुरू कर दी। ऐसे में माता लक्ष्‍मी इस चीज से परेशान होने लगी। क्‍योंकि विष्‍णु जी अब  वैकुंठ पर नहीं रहते थे। अब लक्ष्‍मी जी ने ब्राहम्‍ण औरत का रूप लेकर बलि के महल में रहने लगी। वहीं बाद में उन्‍होंने बलि के हाथों में राखी भी बांध दी और बदले में उनसे कुछ देने को कहा। अब बलि को ये नहीं पता था की वो औरत और कोई नहीं माता लक्ष्‍मी है इसलिए उन्‍होंने उसे कुछ भी मांगने का अवसर दिया। इस पर माता ने बलि से विष्‍णु जी को उनके साथ वापस वैकुंठ लौट जाने का आग्रह किया। इस पर चुंकि बलि से पहले ही देने का वादा कर दिया था इसलिए उन्‍हें भगवान विष्‍णु को वापस लौटना पड़ा। इसलिए राखी को बहुत से जगहों में बलेव्‍हा भी कहा जाता है।  
लोगों की रक्षा करने के लिए कृष्‍ण भगवान को दुष्‍ट राजा शिशुपाल को मारना पड़ा। इस युद्ध के दौरान कृष्‍ण जी की अंगूली में गहरी चोट आई थी। जिसे देखकर द्रौपधी ने अपने वस्‍त्र का उपयोग कर उनकी खून बहने को रोका दिया था। भगवान कृष्‍ण को द्रौपधी की इस कार्य से काफी प्रसन्‍नता हुई और उन्‍होंने उनके साथ भाई बहन का रिश्‍ता निभाया। वहीं उन्‍होंने उनसे ये भी वादा किया की समय आने पर वो उनकी जरूर मदद करेंगे। बहुत वर्षों बाद जब द्रौपधी को कुरू सभा में जुए के खेल हारना पड़ा तब कौरवों के राजकुमार दुहसासन ने द्रौपधी का चिर हरण करने लगा। इस पर कृष्‍ण ने द्रौपधी की रक्षा करी थी और उनकी लाज बचायी थी।  
 
भगवान गणेश के दोनों पुत्र शुभ और लाभ इस बात को लेकर परेशान थे की उनकी कोई बहन नहीं है। इसलिए उन्‍होंने अपने पिता को एक बहन लाने के लिए जिद की। इसपर नारद जी के हस्‍तक्ष्‍येप करने पर बाध्‍य होकर भगवान गणेश को संतोषी माता को उत्‍पन्‍न करना पड़ा। और यहां वहीं ये मौका रक्षा बंधन ही थी जब दोनों भाईयों को उनकी बहन प्राप्‍त हुई।  
 

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