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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jul 13th 2020, 11:46 by lovelesh shrivatri
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किसी गांव में एक प्रधान रहता था। प्रधान अपने न्याय के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। एक बार पास के गांव में दो आदमी लच्छू और यशपाल प्रधान के पास एक मुकदमा लेकर आये। यशपाल एक धनी आदमी था जबकि लच्छू एक गरीब किसान। लच्छू का कहना था कि छ: महीने पहले यशपाल ने उससे पांच हजार रूपये उधार लिये थे। लेकिन अब वापस करने से मना कर रहा है। उधर यशपाल का कहना था वह लच्छू से कई गुना अमीर है। वह भला लच्छू से उधार क्यों मांगने लगा।
मुकदमा गंभीर था। दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अड़े हुये थे प्रधान ने कुछ देर सोच विचार किया तथा अगले दिन आने को कहा। अगले दिन लच्छू और यशपाल सही समय पर प्रधान के सामने पेश हुये तो प्रधान ने एक दीवार की ओर इशारा करते हुये उनसे कहा- तुम दोनों उस दीवान के पीछे चले जाओ। वहां पर दो अलग-अलग बाल्टीया रखीं हैं। तुम दोनों बाल्टी मैं से एक-एक लोटा पानी निकालकर अपने हाथ-पैर धो लो। लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि केवल एक लोटा पानी ही इस्तेमाल करना इससे अधिक नहीं। पवित्र होने के बाद ही न्याय देवता की पूजा होगी।
वे दोनों दीवार के पीछे गये। जहां लच्छू ने तो एक लोटा पानी से अपने हाथ-पैर आसानी से धो लिये। लेकिन यशपाल एक लोटा पानी से अपने पैर भी नहीं धो पाया। उसने अगल-बगल झांककर देखा और यह सुनिश्चित कर लिया कि उसे कोई भी नहीं देख रहा है तो उसने तुरंत एक लोटा पानी निकाला और पैर पर डाल लिया। उसने देखा कि तब भी उसके पैर पूरी तरह नहीं धूल पाये हैं। यशपाल ने सोचा कि- मैं एक लोटा पानी और इस्तेमाल कर लूं इस बात पर प्रधान मुझे फांसी पर थोड़ी लटका देगा। उसने दो लोटे पानी और डाल लिये।
दोनों प्रधान के पास पहुंचे। प्रधान ने उनसे पूछा कि क्या दोनों ने एक-एक लोटा पानी ही इस्तेमाल किया है। तो दोनों ने हा मैं उत्तर दिया। प्रधान बड़ा ही चतुर था। उसने बाल्टीयों में जाकर देखा और जान लिया कि यशपाल ने एक लोटा पानी के बजाय पूरी बाल्टी का पानी इस्तेमाल कर डाला है।
कुछ सोच-विचार के न्याय देवता की प्रार्थना करके प्रधान ने अपना निर्णय सुनाया- लच्छू सही कहता है कि यशपाल ने उससे रूपये लिये है और वापस करने से मना कर रहा है। मैं यह फैसला देता हूं कि तुरंत ही लच्छू को पांच हजार रूपये वापस करे। और झूठ बोलने के लिए उससे माफी मांगे और हर्जाने के रूप में एक हजार रूपये लच्छू को और दे। इस बात को सुनकर लोग असमंजस में पड़ गये कि ऐसा कैसे मालूम हो गया। उन्होंने प्रधान से इस बारे में पूछा प्रधान ने मुस्कुराते हुये कहा- सीधी सी बात है। मैंने दोनों की हाथ-पैर की परीक्षा इसलिए ली थी। जिससे मुझे इन दोनों के स्वभाव के विषय में जानकारी हो जाये। लच्छू ने एक लोटा पानी में ही अपने हाथ-पैर धो डाले। अत: वह कम खर्चे में ही गुजारा करने वाला आमदी है।
मुकदमा गंभीर था। दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अड़े हुये थे प्रधान ने कुछ देर सोच विचार किया तथा अगले दिन आने को कहा। अगले दिन लच्छू और यशपाल सही समय पर प्रधान के सामने पेश हुये तो प्रधान ने एक दीवार की ओर इशारा करते हुये उनसे कहा- तुम दोनों उस दीवान के पीछे चले जाओ। वहां पर दो अलग-अलग बाल्टीया रखीं हैं। तुम दोनों बाल्टी मैं से एक-एक लोटा पानी निकालकर अपने हाथ-पैर धो लो। लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि केवल एक लोटा पानी ही इस्तेमाल करना इससे अधिक नहीं। पवित्र होने के बाद ही न्याय देवता की पूजा होगी।
वे दोनों दीवार के पीछे गये। जहां लच्छू ने तो एक लोटा पानी से अपने हाथ-पैर आसानी से धो लिये। लेकिन यशपाल एक लोटा पानी से अपने पैर भी नहीं धो पाया। उसने अगल-बगल झांककर देखा और यह सुनिश्चित कर लिया कि उसे कोई भी नहीं देख रहा है तो उसने तुरंत एक लोटा पानी निकाला और पैर पर डाल लिया। उसने देखा कि तब भी उसके पैर पूरी तरह नहीं धूल पाये हैं। यशपाल ने सोचा कि- मैं एक लोटा पानी और इस्तेमाल कर लूं इस बात पर प्रधान मुझे फांसी पर थोड़ी लटका देगा। उसने दो लोटे पानी और डाल लिये।
दोनों प्रधान के पास पहुंचे। प्रधान ने उनसे पूछा कि क्या दोनों ने एक-एक लोटा पानी ही इस्तेमाल किया है। तो दोनों ने हा मैं उत्तर दिया। प्रधान बड़ा ही चतुर था। उसने बाल्टीयों में जाकर देखा और जान लिया कि यशपाल ने एक लोटा पानी के बजाय पूरी बाल्टी का पानी इस्तेमाल कर डाला है।
कुछ सोच-विचार के न्याय देवता की प्रार्थना करके प्रधान ने अपना निर्णय सुनाया- लच्छू सही कहता है कि यशपाल ने उससे रूपये लिये है और वापस करने से मना कर रहा है। मैं यह फैसला देता हूं कि तुरंत ही लच्छू को पांच हजार रूपये वापस करे। और झूठ बोलने के लिए उससे माफी मांगे और हर्जाने के रूप में एक हजार रूपये लच्छू को और दे। इस बात को सुनकर लोग असमंजस में पड़ गये कि ऐसा कैसे मालूम हो गया। उन्होंने प्रधान से इस बारे में पूछा प्रधान ने मुस्कुराते हुये कहा- सीधी सी बात है। मैंने दोनों की हाथ-पैर की परीक्षा इसलिए ली थी। जिससे मुझे इन दोनों के स्वभाव के विषय में जानकारी हो जाये। लच्छू ने एक लोटा पानी में ही अपने हाथ-पैर धो डाले। अत: वह कम खर्चे में ही गुजारा करने वाला आमदी है।
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