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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created May 28th 2020, 11:47 by lovelesh shrivatri


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तुम्‍हे ऐसे व्‍यक्तियों का प्रेम पात्र बनने का सदैव प्रयत्‍न करते रहना चाहिए जो कष्‍ट पड़ने पर तुम्‍हारी सहायता कर सकते हैं और बुुराइयों से बचाने की एक निराशा में आशा का संचार करने की क्षमता रखते है। खुशामदी और चापलूसों से घिर जाना आसान है। मतलबी दोस्‍त तो पल भर में इकट्ठे हो सकते हैंं, पर ऐसे व्‍यक्तियों का मिलना कठिन है, जो कठवी समालोचना कर सकें, जो खरी सलाह दे सकें, फटकार सकें और खतरों से सवधान कर सकें। राजा और साहूकारों की मित्रता मूल्‍यवान समझी जाती है, पर सबसे उत्‍तम मित्रता उन धार्मिक पुरूषों की है, जिनकी आत्‍मा महान है। जिसके पास  पूंजी नहीं है, वह कैसा व्‍यापारी। जिसके पास सच्‍चे मित्र नहीं हैं, वह कैसा बुद्धिमान? उन्‍नति के साधनों में इस बात का बड़ा मूल्‍य है कि मनुष्‍य को श्रेष्‍ठ मित्रों का सहयोग प्राप्‍त हो। बहुत से शत्रु उत्‍पन्‍न कर लेना मूर्खता है, पर उससे भी बढ़कर मूर्खता यह है कि भले व्‍यक्तियों की मित्रता को छोड़ दिया जाए।
 
निर्मल बुद्धि और श्रम में श्रद्धा, यही दो वस्‍तुएं तो किसी मनुष्‍य को महान बनाने वाली है। उत्‍तम गुणों को अपनाने से नीचे व्‍यक्ति ऊंचे बन सकते हैं और दुर्गुणों के द्वारा बड़े व्‍यक्ति छोटे हो जाते है। निरंतर की लगन, सावधानी, समय का सदुपयोग छोटे को बड़ा बना सकते हैं, हीन मनुष्‍यों को कुलीन बना सकते हैं।       
     

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