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सॉंई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created May 24th 2020, 12:41 by renukamasram
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हमारा संविधान विश्व के अन्य संविधानों से अनूठा और उत्कृष्ट है। इसमें न केवल वर्तमान शासन पद्धति को निर्बाध संचालन की व्यवस्था है, बल्कि आने वाली पीढियों की जरूरतों को भी ध्यान में रखा गया है। संविधान निर्माताओं ने इसमें इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि यह सभी का सम्मान करने वाला, न्याय देने वाला और सर्व हितकारी हो। कई मामलों में हमारा संविधान काफी नम्य है, अर्थात जनहित में इसे आवश्यकता बदला जा सकता है। इसमें कई तरह की जरूरी खूबियां हैं। हमारा संविधान जितना उत्कृष्ट है, उतना ही शाश्वत। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जितने भी देशों में संविधान बने, उनमें ज्यादातर या तो बदल गए या वहां डिक्टेटरशिप आ गई। लेकिन तमाम झंझावातों के बावजूद हमारा संविधान अक्षुण्य रहा। हमारे संविधान की सबसे बड़ी खासियत या उपलब्धि यह है कि यह हर किसी को सुरक्षा कवच देता है। इसे सभी मानते हैं, भले ही वह किसी जाति, धर्म या राजनीतिक दल का नेता हो। यहां तक कि आतंकी भी संविधान के अंतर्गत अधिकारों की दुहाई देते हें। संविधान का नाम लेकर सड़कों पर चक्का जाम, हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले भी अधिकार मांगते हैं। यह स्वस्थ समाज और देश के लिए हितकारी नहीं है, लेकिन संविधान उन्हें भी अधिकारों से वंचित नहीं करता। हमारा संविधान राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है, लिहाजा इसका आदर करना और इसकी अस्मिता को बचाए रखना हम सभी का दायित्व है। संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, जिसका गलत अर्थो में उपयोग नहीं होना चाहिए। संविधान निर्माताओं ने जिस भाव और दूरदर्शिता से इसकी रचना की थी, उसका सम्मान करना सभी के लिए जरूरी है। विविध पंथ और धर्म संस्कृतियों वाले देश में एकता और समानता का अधिकार हमारे संविधान की ताकत है। संविधान की इसी खूबसूरती के कारण दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका जैसे कई देशों ने अपने संविधान में इन बातों का समावेश किया है।
कुछ राज्यों के नागरिकता कानून को लागू नहीं करने की बात संवैधानिक नहीं है। क्योंकि कोई भी विधेयक पहले चुनी हुई संसद पारित करती है। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून की शक्ल ले लेता है, जैसा हाल ही नागरिकता कानून बना।
कुछ राज्यों के नागरिकता कानून को लागू नहीं करने की बात संवैधानिक नहीं है। क्योंकि कोई भी विधेयक पहले चुनी हुई संसद पारित करती है। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून की शक्ल ले लेता है, जैसा हाल ही नागरिकता कानून बना।
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