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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created May 22nd 2020, 09:58 by sandhya shrivatri


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सहकारिता से अनेकों लाभ हैं। इससे मनुष्‍य में आपस में मिल-जुलकर कार्य करने की भावना का उदय होता है। एक दूसरे के प्रति विश्‍वास उत्‍पन्‍न होता है। इस प्रकार मनुष्‍य का नैतिक उत्‍थान होता है। श्रम का सब में बराबर विभाजन हो जाता है। जो लाभ होता है उसमें सभी को उचित हिस्‍सा मिल जाता है। यदि कुछ हानि होती है तो उसका  भार किसी एक पर नहीं पड़ता बल्कि सभी में बराबर बंट जाता है। सहकारिता का विशेष लाभ है। किसानों के खेत पीढ़ी दर पीढ़ी बंटवारे के कारण छोटे-छोटे होते जा रहे है, यदि किसान आपस में संगठन बनाकर कार्य करें तो वे अच्‍छे बीज का और आधुनिक यंत्रो का प्रयोग करके पैदावर बढ़ा सकते है। छोटे और बीच की श्रेणी के कृषकों की आर्थिक दशा सहकारी खेती से ही सुधर सकती है।  
सफलता के साधनों में आत्‍मविश्‍वास का एक प्रमुख विशेष स्‍थान है। सफलता वास्‍तव में मिलती उसे ही है जिसको कि अपने ऊपर विश्‍वास है जिसे उपने ऊपर विश्‍वास नहीं है वह जीवन के किसी क्षेत्र में सफलीभूत नहीं हो सकता। सफलता आत्‍यविश्‍वास का परिणाम है या यों कहिए की सफलता आत्‍मविश्‍वास की चेरी है। यदि हम महान पुरूषों की जीवनियों पर थोड़ा-सा दृष्टिपात करें तो पायेंगे कि प्रत्‍येक महापुरूषों में आत्‍म विश्‍वास था, वह अपने आत्‍म पर जीवन पर्यन्‍त दृढ़ विश्‍वास रहा था तथा उस व्‍यक्ति के महान् बनने में आत्‍मविश्‍वास का पूरा हाथ रहा है। वास्‍तव में यदि उनमें आत्‍मविश्‍वास की कमी होती है तो वे महान बन ही नहीं सकते थे। वे गन्‍तव्‍य स्‍थान पर पहुंच ही नहीं सकते थे तथा जो महान कार्य वे अपने जीवन में कर गए वे कर पाते। आत्‍म विश्‍वास की पूंजी को यदि अन्‍य पूंजियों के मुकाबले में सर्वोपरि रखा जाए तब भी कोई अतिश्‍योक्ति होगी।    

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