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जेआर टायपिंग इंस्टिट्यूट, लोकमान चौराहा, टीकमगढ़ म0प्र0 सीपीसीटी स्पेशल। संचालक :- अंकित भटनागर मो.नं. 7000315619
created May 22nd 2020, 03:03 by AnkitBhatnagar
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वादी ने एक आवेदन पत्र इरा आशय का पेश किया है कि वह बंदवारा संबंधी संशोधन करना चाहता है। उक्त आवेदन पत्र का प्रतिवादी द्वारा विरोध किया गया है। वादी द्वारा प्रस्तावित संशोधन प्रकरण के स्वरूप को परिवर्तित नहीं करता है। प्रकरण में अभी वादी साक्ष्य प्रारंभ नही हुयी है। अत: उक्त आवेदन पत्र वाद विचार स्वीकार किया जाता है तथा आदेशित किया जाता है कि वादी उक्त संशोधन दो दिवस के भीतर कर न्यायालय द्वारा प्रमाणित करावे। प्रकरण के प्रतिवादी की ओर से एक अन्य आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 6 नियम 17 द.प्र.सं. इस आशय का प्रस्तुत किया है कि वह अपने जवाबदावे की कंडिका 3 में कब्जे के संबंध में संशोधन करना चाहता है। उक्त आवेदन पत्र का वादी द्वारा विरोध किया गया। प्रतिवादी द्वारा चाहा गया संशोधन प्रकरण के सम्यक न्यायिक निराकरण मे सहायक हो सकता है। अत: उक्त संशोधन आवेदन पत्र वाद विचार स्वीकार किया जाता है।
वादी ने एक आवेदन पत्र राजस्व दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लिये जाने वाबत् पेश किया है। उक्त आवेदन पत्र का प्रतिवादी द्वारा विरोध किया गया है। वादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज राजस्व रिकार्डो की प्रमाणित प्रतिलिपियां हैं जो कि प्रकरण के सम्यक न्यायिक निराकरण में सहायक हो सकती हैं। अत: उक्त वादी का आवेदन स्वीकार किया जाकर उक्त दस्तावेज रिकॉर्ड पर लिये जाते हैं।
प्रतिवादी ने एक अन्य आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 151 द.प्र.सं. आशय का प्रस्तुत किया है कि वह प्रकरण में विवादित स्थल का निरीक्षण करना चाहता है। प्रतिवादी के अनुसार वह वादी द्वारा धारित रकबे का सीमांकन कराना चाहता है। प्रतिवादी ने स्थल निरीक्षण की अनुमति चाही। वादी द्वारा उक्त आवेदन पत्र का विरोध किया गया। अत: प्रकट होता है कि वादी अपने आवेदन पत्र के माध्यम से साक्ष्य एकत्रित करना चाहता है। इस संबंध में निम्न न्यायदृष्टांत 2006 धारा 346 अनुकरणीय है। अत: उपरोक्त न्यायदृष्टांत के प्रकाश में प्रतिवादी का उक्त आवेदन पत्र अस्वीकार कर निरस्त किया जाता है। प्रकरण वादी साक्ष्य हेतु नियत किया जाता है।
प्रतिवादी ने एक आवेदन पत्र राजस्व रिकार्डों की रिमाण्ड प्रतिलिपियां रिकॉर्ड पर लिये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया। उक्त आवेदन पत्रों का वादी द्वारा विरोध किया गया। प्रतिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज प्रमाणित प्रतिलिपयां हैं। अत: उक्त आवेदन पत्र वाद विचार स्वीकार किया जाता है तथा उक्त दस्तावेज रिकॉर्ड पर लिये जाते हैं।
प्रतिवादी ने एक अन्य आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 6 नियम 17 इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि वह अपने जवाबदावे में बंटवारे के संबंध में संशोधन करना चाहता है। उक्त आवेदन पत्र का वादी द्वारा विरोध किया गया। प्रतिवादी द्वारा चाहा गया संशोधन प्रकरण के स्वरूप को परिवर्तित नहीं करता। अत: उक्त आवेदन पत्र बाद विचार स्वीकार किया जाता है तथा प्रतिवादी को आदेशित किया जाता है कि उक्त संशोधन दो दिवस के भीतर कर न्यायलय द्वारा प्रमाणित करावे।
वादी ने एक आवेदन पत्र राजस्व दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लिये जाने वाबत् पेश किया है। उक्त आवेदन पत्र का प्रतिवादी द्वारा विरोध किया गया है। वादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज राजस्व रिकार्डो की प्रमाणित प्रतिलिपियां हैं जो कि प्रकरण के सम्यक न्यायिक निराकरण में सहायक हो सकती हैं। अत: उक्त वादी का आवेदन स्वीकार किया जाकर उक्त दस्तावेज रिकॉर्ड पर लिये जाते हैं।
प्रतिवादी ने एक अन्य आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 151 द.प्र.सं. आशय का प्रस्तुत किया है कि वह प्रकरण में विवादित स्थल का निरीक्षण करना चाहता है। प्रतिवादी के अनुसार वह वादी द्वारा धारित रकबे का सीमांकन कराना चाहता है। प्रतिवादी ने स्थल निरीक्षण की अनुमति चाही। वादी द्वारा उक्त आवेदन पत्र का विरोध किया गया। अत: प्रकट होता है कि वादी अपने आवेदन पत्र के माध्यम से साक्ष्य एकत्रित करना चाहता है। इस संबंध में निम्न न्यायदृष्टांत 2006 धारा 346 अनुकरणीय है। अत: उपरोक्त न्यायदृष्टांत के प्रकाश में प्रतिवादी का उक्त आवेदन पत्र अस्वीकार कर निरस्त किया जाता है। प्रकरण वादी साक्ष्य हेतु नियत किया जाता है।
प्रतिवादी ने एक आवेदन पत्र राजस्व रिकार्डों की रिमाण्ड प्रतिलिपियां रिकॉर्ड पर लिये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया। उक्त आवेदन पत्रों का वादी द्वारा विरोध किया गया। प्रतिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज प्रमाणित प्रतिलिपयां हैं। अत: उक्त आवेदन पत्र वाद विचार स्वीकार किया जाता है तथा उक्त दस्तावेज रिकॉर्ड पर लिये जाते हैं।
प्रतिवादी ने एक अन्य आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 6 नियम 17 इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि वह अपने जवाबदावे में बंटवारे के संबंध में संशोधन करना चाहता है। उक्त आवेदन पत्र का वादी द्वारा विरोध किया गया। प्रतिवादी द्वारा चाहा गया संशोधन प्रकरण के स्वरूप को परिवर्तित नहीं करता। अत: उक्त आवेदन पत्र बाद विचार स्वीकार किया जाता है तथा प्रतिवादी को आदेशित किया जाता है कि उक्त संशोधन दो दिवस के भीतर कर न्यायलय द्वारा प्रमाणित करावे।
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