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जेआर टायपिंग इंस्टिट्यूट, लोकमान चौराहा, टीकमगढ़ म0प्र0 सीपीसीटी स्पेशल। संचालक :- अंकित भटनागर मो.नं. 7000315619
created May 20th 2020, 06:59 by AnkitBhatnagar
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वादी का वाद संक्षेप में इस प्रकार है कि वह उक्त मंदिर का पुजारी, व्यवस्थापक है तथा उक्त मंदिर शासकीय होकर सर्वे क्रमांक 5 ग्राम रामनगर में राजस्व अभिलेख में दर्ज है। वादी के अनुसार उक्त मंदिर पर प्रतिवादीगण का कोई हित नहीं है और वे मंदिर को हड़पना चाहते है और इसी कारणवश उनके द्वारा मंदिर पर जबरदस्ती निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। वादी के अनुसार प्रतिवादीगण विवादित भूमि पर कब्जा करना चाहते हैं और यदि उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका गया तो वे विवादित भूमि को हड़प लेंगे। अत: उपरोक्त आधारों पर वादी ने इस आशय की स्थायी निषेधाज्ञा चाही है कि प्रतिवादीगण मंदिर पर न तो स्वयं और न ही किसी अन्य के माध्यम से कोई निर्माण कार्य करें और न ही करायें।
उक्त वादपत्र के जवाब में प्रतिवादीगण द्वारा वादी के अभिवचनों को अस्वीकार किया गया है। प्रतिवादीगण के अनुसार वादी द्वारा गलत आधारों पर वादपत्र प्रस्तुत किया गया है। वादीगण के अनुसार वादी द्वारा गलत आधारों पर वादपत्र प्रस्तुत किया गया है। वादीगण के अनुसार मंदिर शासकीय भूमि पर है जिस पर संयासी वृंदावनदास द्वारा 30 वर्ष पूर्व मंदिर बनाया गया था। प्रतिवादीगण के अनुसार वादी ने उनकी जानकारी के बिना मंदिर का ट्रस्ट बनवा लिया, जिसकी कार्य व्यवस्था के लिए तहसीलदार एवं पार्षद को पदेन रखा गया है। प्रतिवादीगण के अनुसार संयासी वृंदावनदास जी ने उक्त मंदिर के साथ पाल समाज का राम-जानकी मंदिर के निर्माण हेतु दिनांक 22.08.11 को अनुबंध पत्र पाल समाज के हित में संपादित करा दिया था और उसी के लिए उस पर नींव खोदी गई थी। प्रतिवादीगण के अनुसार वादी निर्माण स्वयं करना चाहता है और भूमि बेचना चाहता है। अत: उपरोक्त आधारों पर प्रतिवादीगण द्वारा वादी के वाद को अस्वीकार कर निरस्त करने का निवेदन किया गया है।
वादी साक्षी 01 रामदास ने अपने मुख्य परीक्षण में बनाया है कि वह उक्त् मंदिर का पुजारी है एवं व्यवस्थापक है। उक्त साक्षी के अनुसार उसे अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पुजारी नियुक्त किया गया है तथा उक्त मंदिर शासकीय है। वादी साक्षी 01 के अनुसार मंदिर से लगी खुली भूमि है जिस पर प्रतिवादीगण जबरन कब्जा करने के प्रयास में है। उक्त साक्षी के अनुसार उसने उन्हें ऐसा करने से मना किया तो वह उसे धमकी देने लगे और यदि प्रतिवादीगण मंदिर की भूमि पर कब्जा करने में सफल हो गए तो इससे मंदिर को क्षति होगी। उक्त साक्षी के अनुसार मंदिर कितने क्षेत्रफल में बना है इसकी जानकारी उसे नहीं है। उक्त साक्षी के अनुसार शासकीय भूमि का मालिक कलेक्टर होता है तथा उसने वाद प्रस्तुत करने के पूर्व कलेक्टर की अनुमति नहीं ली और न ही इसकी सूचना कलेक्टर को दी है। वादी साक्षी 02 बाबूलाल ने अपने कथन में बताया है कि प्रतिवादीगण का मंदिर से कोई लेना देना नहीं है तथा प्रतिवादीगण भूमि हो हड़पना चाहते है। अपने प्रतिपरीक्षण में उक्त साक्षी ने इस बात को स्वीकार किया है कि उसकी बहन की रामदास से शादी हुई है तथा मंदिर किसी भूमि पर बना है इसकी जानकारी उसे नहीं है। उक्त् साक्षी का कहना है कि मंदिर शासकीय भूमि पर बना है।
उक्त वादपत्र के जवाब में प्रतिवादीगण द्वारा वादी के अभिवचनों को अस्वीकार किया गया है। प्रतिवादीगण के अनुसार वादी द्वारा गलत आधारों पर वादपत्र प्रस्तुत किया गया है। वादीगण के अनुसार वादी द्वारा गलत आधारों पर वादपत्र प्रस्तुत किया गया है। वादीगण के अनुसार मंदिर शासकीय भूमि पर है जिस पर संयासी वृंदावनदास द्वारा 30 वर्ष पूर्व मंदिर बनाया गया था। प्रतिवादीगण के अनुसार वादी ने उनकी जानकारी के बिना मंदिर का ट्रस्ट बनवा लिया, जिसकी कार्य व्यवस्था के लिए तहसीलदार एवं पार्षद को पदेन रखा गया है। प्रतिवादीगण के अनुसार संयासी वृंदावनदास जी ने उक्त मंदिर के साथ पाल समाज का राम-जानकी मंदिर के निर्माण हेतु दिनांक 22.08.11 को अनुबंध पत्र पाल समाज के हित में संपादित करा दिया था और उसी के लिए उस पर नींव खोदी गई थी। प्रतिवादीगण के अनुसार वादी निर्माण स्वयं करना चाहता है और भूमि बेचना चाहता है। अत: उपरोक्त आधारों पर प्रतिवादीगण द्वारा वादी के वाद को अस्वीकार कर निरस्त करने का निवेदन किया गया है।
वादी साक्षी 01 रामदास ने अपने मुख्य परीक्षण में बनाया है कि वह उक्त् मंदिर का पुजारी है एवं व्यवस्थापक है। उक्त साक्षी के अनुसार उसे अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पुजारी नियुक्त किया गया है तथा उक्त मंदिर शासकीय है। वादी साक्षी 01 के अनुसार मंदिर से लगी खुली भूमि है जिस पर प्रतिवादीगण जबरन कब्जा करने के प्रयास में है। उक्त साक्षी के अनुसार उसने उन्हें ऐसा करने से मना किया तो वह उसे धमकी देने लगे और यदि प्रतिवादीगण मंदिर की भूमि पर कब्जा करने में सफल हो गए तो इससे मंदिर को क्षति होगी। उक्त साक्षी के अनुसार मंदिर कितने क्षेत्रफल में बना है इसकी जानकारी उसे नहीं है। उक्त साक्षी के अनुसार शासकीय भूमि का मालिक कलेक्टर होता है तथा उसने वाद प्रस्तुत करने के पूर्व कलेक्टर की अनुमति नहीं ली और न ही इसकी सूचना कलेक्टर को दी है। वादी साक्षी 02 बाबूलाल ने अपने कथन में बताया है कि प्रतिवादीगण का मंदिर से कोई लेना देना नहीं है तथा प्रतिवादीगण भूमि हो हड़पना चाहते है। अपने प्रतिपरीक्षण में उक्त साक्षी ने इस बात को स्वीकार किया है कि उसकी बहन की रामदास से शादी हुई है तथा मंदिर किसी भूमि पर बना है इसकी जानकारी उसे नहीं है। उक्त् साक्षी का कहना है कि मंदिर शासकीय भूमि पर बना है।
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