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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ कौन रोएगा आपकी मृत्‍यू पर अध्‍याय 3 ✤|•༻

created May 14th 2020, 15:22 by akash khare


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एक पुरानी कहानी के अनुसार एक दिन एक व्‍यक्ति को अस्‍पताल के कमरे में किसी गम्‍भीर बीमारी के साथ लाया गया जहां एक और मरीज खिड़की के पास की शैय्या पर आराम कर रहा था। धीरे-धीरे उनमें दोस्‍ती हो गई ओर खिड़की के पास वाला रोगी रोज खिड़की से बाहर देखता और उसके बाद कुछ घन्‍टे वह अपने बीमार साथी को बाहार की दुनिया की सजीव व्‍याख्‍या करते हुए बिताता। किसी दिन वह अस्‍पताल के दूसरी तरफ के बगीचे में लगे हुए वृक्षों के हवा के झोंकों के साथ झूमने की सुन्‍दरता के बारे में बताता था। किसी और दिन वह अपने दोस्‍त का मनोरंजन उन लोगों की एक-एक बात बताकर करता जो अस्‍पताल के सामने से निकल रहे होते थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया वह रोगी जो बिस्‍तर से बिल्‍कुल नहीं उठ पाता था वह अपने दोस्‍त के द्वारा बतलाए जाने वाले अद्भुत दृश्‍यों को देख पाने की असमर्थता से विचलित हो उठा। परिणाम स्‍वरूप वह उसे नापसन्‍द करने लगा और धीरे-धीरे उसकी नफरत तीव्र घृणा में बदल गई।
    एक रात खिड़की के पास वाले मरीज को खांसी का दौरा पड़ा और उसने सांस लेना बंद कर दिया। सहायता बुलाने के लिए बटन दबाने के बजाए दूसरा मरीज पड़ा रहा। दूसरी सुबह वह रोगी जिसने अपने मित्र को खिड़की से झांकते हुए दृश्‍यों का ब्‍यौरा देकर बहुत सी खुशी दी थी, को मृत घोषित कर दिया गया और अस्‍पताल के उस कमरे से बाहर भेज दिया गया। दूसरे मरीज ने जल्‍दी ही अपना विस्‍तर खिड़की के पास लगाने का निवेदन किया जिस पर अस्‍पताल की सेविकाओं ने तुरन्‍त अमल किया। परन्‍तु जैसे ही उसने खिड़की के बाहर के दृश्‍य को देखा बाहर के दृश्‍य ने उसे हिला कर रख दिया। खिड़की के सामने ईंटों की बनी हुई ठोस दीवार थी। मृत मित्र ने उसके मुश्किल समय को थोड़ा खुशहाल बनाने के लिए काल्‍पनिक दृश्‍यों का एक जाल बुना था जो कि उसके दयालु स्‍वभाव को दर्शता है। उसका यह आचरण उसके स्‍वार्थहीन प्रेम का सबूत है।
    यह कहानी, मैं जितनी बार इसके बारे में सोचता हूं मेरे अपने दृष्टिकोंण को एक नई दिशा में ले जाती है। अधिक परिपूर्ण और प्रसन्‍न जीवन जीने के लिए हमें मुश्किल परिस्थिति में अपने दृष्टिकोण को लगातार परिवर्तित करने की कोशिश करनी चाहिए।

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