eng
competition

Text Practice Mode

सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Mar 19th 2020, 11:57 by Shankar D.


2


Rating

523 words
8 completed
00:00
एक बार एक जंगल के निकट दो राजाओं के बीच घोर युद्ध हुआ। एक जीता दूसरा हारा। सेनाएं अपने नगरों को लौट गई। बस, सेना का एक ढोल पीछे रह गया। उस ढोल को बजा-बजाकर सेना के साथ गए भाट चारण रात को वीरता की कहानियां सुनाते थे। युद्ध के बाद एक दिन आंधी आई। आंधी के जोर में हवा ने उस ढोल को वहां से उलटाते-पलटाते एक सूखे वृक्ष के पास जाकर टिका दिया। उस वृक्ष की सूखी टहनियां ढोल से इस तरह से सट गई थीं कि तेज हवा चलते ही ढोल पर टकरा जाती थीं और ढमाढम-ढमाढम की आवाज गुंजायमान होती थी। एक सियार उस क्षेत्र में घूमता था। उसने ढोल की आवाज सुनी। वह उस आवाज को सुनकर अत्‍यधिक भयभीत हुआ। ऐसी अजीब आवाज बोलते पहले उसने किसी जानवर को नहीं सुना था। वह सोचने लगा कि यह कैसा जानवर है, जो ढमाढम जैसी जोरदार बोली बोलता है। सियार यह जानने के लिए छिपकर ढोल को देखता रहता कि इसके पंख हैं या पांव। एक दिन सियार छुपकर ढोल पर नजर रखे था। तभी वृक्ष से नीचे उतरती एक गिलहरी कूदकर ढोल पर उतरी। हलकी-सी ढम की आवाज भी हुई। गिलहरी ढोल पर बैठी दाना कुतरती रही। इस पर सियार ने सोचा कि यह कोई हिंसक जीव नहीं है, इसीलिए मुझे इससे डरने की जरूरत नहीं है। सियार फूंक-फूंककर कदम रखता ढोल के निकट गया। उसे सूंघा ढोल का उसे कहीं सिर नजर आया और पैर। तभी हवा के झोंके से टहनियां ढोल से टकराई। ढम की आवाज हुई और सियार उछलकर पीछे जा गिरा। सियार उठने की कोशिश करते हुए सियार को अब यह सोचा कि जो उसे दिखाई दे रहा है वह तो केवल बाहर का खोल है। जीव इस खोल के अंदर है। आवाज बता रही है कि जो कोई जीव इस खोल के भीतर रहता है, वह मोटा-ताजा चर्बी से भरा शरीर वाला होना चाहिए। अपनी मांद में घुसते ही सियार ने सियारी को दावत खाने के लिए तैयार होने के लिए कहा और कहा कि वह एक मोटे-ताजे शिकार का पता लगाकर आया है। सियारी ने कहा कि तुम्‍हें उसे मारकर लाना चाहिए था। सियार ने कहा कि वह रक खोल के भीतर छिपा बैठा है। खोल ऐसा है कि उसमें दो तरफ सूखी त्‍वचा के दरवाजे हैं, यदि वह तरफ से हटा डालता तो वह दूसरे दरवाजे से भाग जाता। चांद निकलने पर दोनों ढोल की ओर गए। जब वे निकट पहुंच ही रहे थे कि फिर हवा से टहनियां ढोल पर टकराई और ढम-ढम की आवाज निकली। सियार सियारी के कान में बोला के यदि उसकी आवाज इतनी गहरी है तो वह खुद कितना मोटा ताजा होगा। दोनों ढोल को सीधा कर उसके दोनों ओर बैठे और लगे दांतों से ढोल के दोनों और की त्‍वचा को काटने लगे। जैसे ही त्‍वचा कटने लगी, सियार ने सियारी को होशियार रहने और एक साथ हाथ अंदर डाल शिकार को दबोचने का निर्देश दिया। दोनों एक साथ हाथ ढोल के भीतर डालकर टटोलने लगे। अंदर कुछ नहीं था। उनके हाथ में एक-दूसरे के हाथ ही आए। दोनों चिल्‍लाए कि यहां तो कुछ नहीं है और वे माथा पीटकर रह गए।

saving score / loading statistics ...