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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Mar 19th 2020, 11:52 by DeendayalVishwakarma


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महाकवि सूरदास के जन्‍म और उनके अंधे होने के विषय में एवं उनके शेष जीवन के विषय में भी निश्‍चित रूप से कुछ कहना बहुत कठिन है, क्‍योंकि इस विषय में विद्वानों में परस्‍पर भेद हैं। लेकिन सूरदास को प्राय सभी एकमत से हिन्‍दी की सर्वश्रेष्‍ठ कवि स्‍वीकारते हैं।
       सूरदास हिन्‍दी की कृष्‍ण भक्ति काव्‍यधारा के शिरोमणि कवि हैं। आपने श्रीकृष्‍ण के समग्र जीवन का प्रभावशाली वर्णन किया है। आपके द्वारा रचित काव्‍य ग्रन्‍थ सूर सागर, सूर सारावली और साहित्‍य लहरी हिन्‍दी साहित्‍य की अनुपम और अत्‍यन्‍त विशिष्‍ट काव्‍य कृतियां हैं। आपकी अमर काव्‍य रचना सूर सागर है।
    सूरसागर हिन्‍दी साहित्‍य का अत्‍यन्‍त उच्‍चकोटि का काव्‍य ग्रन्‍थ है। इसमें कवि ने श्रीकृष्‍ण के विषद जीवन का अनूठा चित्रण किया है। इसमें बाल लीलाओं से लेकर गोपीचीर हरण सहित कृष्‍ण द्वारा असुर रूपों के प्रतिरूपों को हनन करने का सजीव वर्णन किया गया है। कृष्‍ण की बाल लीला का वर्णन महाकवि सूरदास जी ने जिस चतुरता और कुशलता से किया है, वैसा और कहीं नहीं दिखाई देता है। बालक कृष्‍ण माता यशोदरा के द्वारा दिए गए नवनीत को हाथ में लिए हुए अपने सौन्‍दर्य से विशेष आकर्षण प्रकट कर रहे हैं।
    कविवर गोस्‍वामी तुलसीदास ने जहां मर्यादा पुरूषोतम राम के चरित्र चित्रण के द्वारा समस्‍त जनमानस को जीवनादर्श के मार्गदर्शन कराया, वहीं महाकवि सूरदास ने जी ने लीला पुरूषोतम श्रीकृष्‍ण की विविध हृदयस्‍पर्शी लीलाओं के द्वारा जन जीवन को सरस और रोचक बनाने का अद्भुत प्रयास किया है।

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