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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Mar 16th 2020, 13:23 by ddayal2004


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हमारे जीवन की सबसे महत्‍वपूर्ण चीज हमारी भाषा ही होती है, और भाषा से ही हमें पहचाना जाता है। कि हम कहा के रहने वाले हैं और कौन सी भाषा बोलते हैं, भाषा चाहे दुनिया में हर इंसान की अलग-अलग ही क्‍यों ना हो पर अलग-अलग भाषा भी हर इंसान को एक दूसरे से जोड़ती है। चाहे हम किसी भी मुल्‍क देश या प्रांत में रहे पर हर इंसान को उसकी भाषा एक दूसरे से जोड़ती है इंसान तो क्‍या जानवर के पास भी अपनी एक भाषा या बोली होती है जो एक दूसरे को आपस में जोड़ती है, भाषा इंसान को एक पहचान देती हे, भाषा इंसान को जीना सिखाती है, और भाषाा ही इंसानों को इंसानों से जोड़ती है और एक पहचान देती है।
    भाषा हम इंसानों का वह साधन है, जिसके द्वारा मुनष्‍य बोलकर सुनकर पढ़कर अपने मन के भावो या विचारों का आदान-प्रदान एक दूसरे के साथ करते हैं। अन्‍य शब्‍दों में भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने मन के भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और सामने वाले के भावों को भी समझ सके उसे भाषा या बोली कहा जाता है।
    जब बच्‍चे या उनके मां-बाप एक दूसरे को समझने या समझाने के लिए विभिन्‍न प्रकार के संकेतों का सहारा लेते थे पर संकेतों में पूरी बात समझना समझाना मुश्किल था और आपने भी अपने मित्रों के साथ संकेतों में बात समझाने के खेल-खेले होंगे, और उस समय आपको भी अपनी बात समझने में बहुत कठिनाई हुई होगी, ऐसा ही आदि-मानव के साथ भी होता था। और इसी असुविधा से बचने के लिए उसने अपने मुख से निकली ध्‍वनि को मिलाकर शब्‍द बनाने आरंभ किये और शब्‍दों के मेल से ही भाषा का निर्माण हुआ।
    किसी भी इंसान का जन्‍म होता है दुनिया में तो क्‍या वो बचपन से किसी भाषा को जानता है या वो अपने जन्‍म से ही बोलने लगता है, नहीं एक नवजात बच्‍चा उस कोरे कागज के समान होता है जिस पर आप कुछ भी लिख सकते हैं वो जो आप लिखोगे वो उस पे हमेशा लिखा रहेगा कभी मिटेगा नहीं, तो दोस्‍तों उसी प्रकार भाषा का भी हमारे जीवन में वही महत्‍व है जैसा मैंने बताया एक बच्‍चा जहां जन्‍म लेता है या जिस भी परिवार या जिस भी प्रांत में जन्‍म लेता है वो वहां की भाषा बोली सीखता है।
    और ऐसा है की अगर किसी बच्‍चे का जन्‍म किसी परिवार में हुआ और उस बच्‍चे को किसी दूसरे परिवार ने गोद ले लिया तो वो अपने सगे मां-बाप की भाषा नहीं सीखेगा वो वहीं की भाषा सीखेगा जहां वो रहता है, जैसे किसी हिंदुस्‍तान में जन्‍में बच्‍चे को यदि इंग्‍लैण्‍ड भेज दिया जाये तो वह इंग्लिश बोलना सीख जाता है।
    एक बार एक बच्‍चे का जन्‍म होता है और उसे जन्‍म के साथ ही भेड़िया के बीच में छोड़ दिया जाता है और जब कुछ साल बाद वह बच्‍चा बड़ा होात है और कुछ लोगों की नजर में आता है तो वो लड़का भी भेडियों की तरह ही गुर्राना सीख चुका था इंसानों की भाषा से पूरा अनभिज्ञ था।

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