eng
competition

Text Practice Mode

BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Mar 16th 2020, 13:04 by SubodhKhare1340667


1


Rating

354 words
0 completed
00:00
कबीर हिंदी साहित्‍य के महिमामण्डित व्‍यक्तित्‍व हैं। कबीर के जन्‍म के संबंध में अनेक किंवदन्तियां हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे रामानन्‍द स्‍वामी के आशीवार्द से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे, जिसको भूल से रामानंद जी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया था। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा लात के पास फेंक आयी।  
    कबीर में माता-पिता के विषय में एक राय निश्चित नहीं है कि कबीर नीमा और नीरू की वास्‍तविक संतान थे या नीमा और नीरू ने केवल इनका पालन-पोषण ही किया था। कहा जाता है कि नीरू जुलाहे को यह बच्‍चा लहरतारा ताल पर पड़ा पाया, जिसे वह अपने घर ले आया और उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया।   
कबीर ने स्‍वयं को जुलाहे के रूप में प्रस्‍तुत किया है,
    कबीर पन्थियों की मान्‍यता है कि कबीर की उत्‍पत्ति काशी में लहरतारा तालाब में उत्‍पन्‍न कमल के मनोहर पुष्‍प के ऊपर बालक के रूप में हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि कबीर जन्‍म से मुसलमान थे और युवावस्‍थ में स्‍वामी रामानन्‍द के प्रभाव से उन्‍हें हिंदू धर्म का ज्ञान हुआ। एक दिन कबीर पंचगंगा घाट की सीढियां उतर रहे थे कि उनका पैर कबीर के शरीर पर पड़ गया। उनके मुख से तत्‍काल राम-राम शब्‍द निकल पड़ा उसी राम को कबीर ने दीक्षा-मन्‍त्र मान लिया और रामानन्‍द जी को अपना गुरू स्‍वीकार कर लिया।  
      जन श्रुति के अनुसार कबीर के एक पुत्र कमल तथा पुत्री कमाली थी। इतने लोगों की परवरिश करने के लिय उन्‍हें अपने घर पर काफी काम करना पड़ता था। साधु संतों का तो घर में जमाबड़ा रहता ही था।
कबीर को कबीर पंथ में, बाल-ब्रह्मचारी और विराणी माना जाता है। इस पंथ के अनुसार कामात्‍य उसका शिष्‍य था और कमाली तथा लोई उनकी शिष्‍या। लोई शब्‍द का प्रयोग कबीर ने एक जगह कंबल के रूप में भी किया है। वस्‍तुत: कबीर की पुत्र और पुत्री दोनों थे।  
    उन्‍होंने स्‍वयं ग्रंथ नहीं लिखे, मुंह से भाखे और उनके शिष्‍यों ने उसे लिख लिया। आप के समस्‍त विचारों में रामनाम की महिमा प्रतिध्‍वनित होती है। वे एक ही ईश्‍वर को मानते थे और कर्मकाण्‍ड के घोर विरोधी थे।

saving score / loading statistics ...