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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
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हम भोजन के संबंध में हानि-लाभ की कुछ बातें जानते हैं, परंतु वायु जो भोजन से भी अधिक आवश्यक है, उसके संबंध में बहुत ही कम जानते हैं। स्वास्थ्य रक्षा के लिये प्राण-वायु पानी ऑक्सीजन जितनी आवश्यक है, उतनी और कोई वस्तु नहीं। हम लोग बासी भोजन खाना पसंद नहीं करते, किंतु बासी और गंदी वायु से परहेज पर हम ध्यान नहीं देते। ऑक्सीजन ऐसी खुराक है जिसका महत्व खाने पीने की अन्य चीजों की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। सुप्रद्धि शरीरशास्त्री डॉक्टर रौडस्मंड के अनुसार यह बात असत्य है कि हृदय के द्वारा रक्त का दौरा होता है, वरन् सच बात यह है कि प्राण-वायु ही रक्त में मिल कर उसे दौरा करने की शक्ति देता है। मनुष्य के शरीर को अपना काम चलाने के लिये जिस शक्ति की जरूरत होती है वह कहां से आती है, इस विषय धुरन्धर शरीरशास्त्री डॉक्टर बरनर मेकफेडन के अनुसंधान के अनुसार प्रत्येक श्र्वास के साथ हम जो वायु खींचते हैं उसके साथ एक विद्युत शक्ति शरीर में जाती है और वह विद्युत शक्ति अन्य कोई वस्तु नहीं ऑक्सीजन का ही परिवर्तित रूप है। जब ऑक्सीजन रक्त में मिलती है, तो स्त्रायु मंडल उसे ग्रहण कर लेता है और स्त्रायविक केंद्र में पहुंचा देता है और उसी की शक्ति से शरीर के सारे काम चलते हैं। भोजन पचाने, बातचीत करने, चलने-फिरने जैसे कार्य इसी शक्ति से पूरे किये जाते हैं। दिमागी काम करने वालों को भी दिमागी ताकत पाने और उन्नत करने का प्रयत्न करना चाहिये और इसके लिए ध्यान रखना चाहिए के मानसिक श्रम में भी स्त्रायविक शक्ति व्यय होती है, यह शक्ति शारीरिक स्वास्थ्य एवं स्त्राय विद्युत से ही आती है। उस शक्ति का मल स्त्रौत ऑक्सीजन है, जो वायु से ही प्राप्त होता हैं। यह अज्ञान है कि लोग इस प्राण-शक्ति से डरते हैं, और खुली हवा में रहने की अपेक्षा बंद मकानों में काम करना पसंद करते हैं। शीत-ऋतु में आप किसी मोहल्ले में चले जाइये, सारे वातायन बंद मिलेंगे, लोग अपने कमरे बंद करके अनके अंदर मुंह-ढककर सो रहे होंगे, यह प्रथा स्वास्थ्य के लिये बहुत ही हानिकारक है। इस बात की परीक्षा आप स्वयं कर सकते हैं, बंद कमरे में मुंह ढक कर सोने पर सुबह उठते हुए शरीर भारी-सा लगेगा। तन्द्रा और आलस्य छाए होंगे, खाअ पर से उठना अच्छा नहीं लगेगा और दिन भर सुस्ती बनी रहेगी। तेज या ठंडी हवा में निकलने से लोग भयभीत होते हैं और समझते हैं कि इससे जुकाम आदि हो जाएगा। यह भ्रम मिथ्या है, तेज, ठंडी हवा से कोई बीमारी नहीं होती। यदि जुकाम होता भी है, तो वह स्वास्थ्य के लिये अच्छा है। अगर शरीर में दोष भरे हैं, तो जुकाम होकर बलगम द्वारा उनका निकल जाना ही भला है।
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