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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Feb 26th 2020, 05:05 by subodh khare


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एक बार बादशाह अकबर शिकार के लिए निकले, घोड़े पर सरपट दौड़ते हुए उन्‍हें पता ही नहीं चला और केवल कुछ सिपाहियों को छोड़ कर बाकी सेना पीछे रह गई। शाम घिर आई थी, सभी भूखे और प्‍यासे थे, और समझ गए थे कि वो रास्‍ता भटक गए हैं। राजा को समझ नहीं रहा था कि वह किस तरफ जाएं। सैनिकों ने यह देखा तो उसे पकड़ कर राजा के सामने पेश किया। सभी सैनिक मौन खड़े थे, वे राजा के गुस्‍से से वाकिफ थे। लड़का फिर बोला, जनाब लोग कहते हैं, रास्‍ते नहीं। यह सुनकर इस बार राजा मुस्‍कुराया और कहा नहीं, तुम ठीक कह रहे हो, तुम्‍हारा नाम क्‍या है, बादशाह अकबर ने पूछा।
    मेरा नाम महेश दास है महाराज लड़के ने उत्‍तर दिया आप कौन हैं बादशाह अकबर ने अपनी अंगूठी निकाल कर महेश दास को देते हुए कहा तुम महाराज अकबर हिंदुस्‍तान के सम्राट से बात कर रहे हो। मुझे निडर लोग पसंद हैं। तुम मेरे दरबार में आना और मुझे यह अंगूठी दिखाना। यह अंगूठी देखकर मैं तुम्‍हें पहचान लूंगा। अब तुम मुझे बताओं कि मैं किस रास्‍ते पर चलूं ताकि मैं आगरा पहुंच जाऊं। महेश दास ने सिर झुका कर आगरा का रास्‍ता बताया और जाते हुए हिंदुस्‍तान के सम्राट को देखता रहा और इस तरह बादशाह अकबर भविष्‍य के बीरबल से मिले बाद में दोनों का इतिहास खूबसूरत किस्‍सों में रच बस गया।

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