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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Feb 25th 2020, 10:22 by SaLmanSK


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अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की मांग है कि भारत के बाजार को चिकन, चीज आदि अमेरिकी कृषि उत्‍पादों के लिए खोला जाए जिससे कि अमेरिकी किसानों को लाभ हो, परंतु भारत इसके लिए तैयार नहीं है, क्‍योंकि इससे हमारे किसानों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इस समय अमेरिका और भारत एक व्‍यापक समझौते पर काम कर रहे हैं। ऐसे में हमें अपनी रणनीति तय करनी होगी, लेकिन इसके लिए समझना होगा कि राष्‍ट्रपति ट्रंप भारत को अमेरिकी निर्यात क्‍यों बढ़ाना चाहते हैं।
    दरअसल अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था पूर्व में नए-नए तकनीकी विकासों के आधार पर आगे बढ़ रही थी। जैसे अमेरिका में परमाणु रिएक्‍टर, जेट हवाई जहाज, कंप्‍यूटर, इंटरनेट आदि का आविष्‍कार हुआ था। इन हाईटेक मालों का निर्यात करके अमेरिका भारी लाभ कमा रहा था। इस लाभ से वह अपनी जनता को ऊंचे वेतन दे रहा था, लेकिन बीते दो दशकों में अमेरिका में ऐसे कोई आविष्‍कार नहीं हुए हैं। जिसका निर्यात कर वह भारी लाभ कमा सके। इस कारण अमेरिका की अर्थव्‍यवस्‍था सुस्‍त पड़ी हुई है। श्रमिकों के वेतन दबाव में हैं और अमेरिकी सरकार को टैक्‍स कम मिल रहा है, लेकिन अमेरिकी सरकार के खर्च लगातार बढ़ रहे हैं। जैसे उसे अफगानिस्‍तान और ईरान से युद्ध करने के लिए खर्च करने पड़े हैं। इस बजट घाटे को पाटने के लिए सरकार बांड बेच रही है और ऋण ले रही है। इस ऋण का बड़ा हिस्‍सा विदेशों से रहा है विशेषकर चीन एवं जापान से। इस कारण अमेरिकी डॉलर का दाम बढ़ रहा है। जैसे चीन के निवेशक ने सौ डॉलर के अमेरिकी सरकार के बांड खरीदे तो बाजार में डॉलर की मांग बढ़ी। मांग बढ़ने से डॉलर के दाम बढ़ गए। इस विदेशी पूंजी के आवक से डॉलर के मूल्‍य ऊंचे बने हुए हैं और अमेरिका कृत्रिम अमीरी का आनंद ले रहा है, यही अमेरिकी सरकार की रणनीति है।

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