Text Practice Mode
बंसोड टायपिंग इन्स्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा न्यू बैच प्रारंभ मो. 8982805777
created Feb 25th 2020, 01:23 by Ashu Soni
0
441 words
11 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत यात्रा पर हैं। इस दौरान सोमवार को उन्होंने अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम का भी दौरा किया। इससे पूर्व भी कई राष्ट्राध्यक्ष साबरमती आश्रम जाते रहे हैं। इससे दुनिया में महात्मा गांधी की महत्ता साबित होती है। देखा जाए तो किसी भी देश की पहचान में उसकी संस्कृति, साहित्य, इतिहास एवं ज्ञानार्जन परंपरा सबसे महत्वपूर्ण अवयव बनते हैं। समय-समय पर ऐसे मनीषी भी आते रहते हैं जो तत्कालीन परिस्थितियों में देश और समाज का मार्ग-निर्देशन कर उसे अनेक समस्याओं से मुक्ति दिलाने में अप्रतिम योगदान करते हैं। वे ऐसी अमिट छाप छोड़ जाते हैं जो देश की पहचान को और समृद्ध और सुसंस्कृत करती है। लगभग एक हजार वर्षों तक प्रताडि़त, अपमानित और पराधीन रहे भारतीय समाज को बीसवीं सदी में उसकी अंतरशक्ति से परिचित कराने वाले मनीषियों में महात्मा गांधी अग्रणी रहे। उन्होंने प्राचीन भारतीय संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध ज्ञान परंपरा से जनित विश्व-बंधुत्व, परहित-सेवा, सभी के सुख और स्वास्थ्य की कामना जैसे शाश्वत मानवीय मूल्यों को पूर्णरूपेण आत्मसात किया। समय के साथ वे विश्व पटल पर निडर कर्मयोगी के अप्रतिम उदाहरण बनकर उभरे। महात्मा गांधी से प्रेरणा पाकर नेल्सन मंडेला अपने देश को आजाद कराने में सफल हुए
उनसे प्रेरणा पाकर मार्टिन लूथर किंग जूनियर रंगभेद मिटाने में तथा नेल्सन मंडेला अपने देश को आजाद कराने में सफल हुए। आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों ने भी उन्हें सराहा, अनुकरणीय विश्व-विभूति माना। ऐसे में भारत की नई पीढ़ी का गांधी जी से आवश्यक परिचय कैसे होता रहे, इस पर विचार जरूरी है। गांधी जी जानते थे कि अपने को समझने के लिए अपनों को समझना आवश्यक है गांधी जी केवल स्वतंत्रता सेनानी मात्र नहीं थे। उनका लक्ष्य तो अपने को हासिल करना था। अपने को जानना था। सत्य तक पहुंचने के लिए प्रयोग करना था। नवाचार करना था। मोक्ष प्राप्त करना था। वे जीवनपर्यंत इसी में लगे रहे। गांधी जी जानते थे कि अपने को समझने के लिए अपनों को समझना आवश्यक है, देश और समाज को समझना आवश्यक है। इसी कड़ी में दक्षिण अफ्रीका में जब उन्होंने जॉन रस्किन की पुस्तक अनटू दिस लास्ट पढ़ी तो उनका अंतर्मन जाग उठा। पीटर मैरिट्सबर्ग की घटना को वे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सृजनात्मक अवसर मानते थे। इसी प्रयास में गांधी जी ने 1921 में अपनी पोशाक बदल दी। यह उनकी उसी खोज का परिणाम था जिसने अंतर्मन से उन्हें सुझाया कि पंक्ति के अंतिम छोर पर खड़ा व्यक्ति तुम्हारे जैसा ही है। वह तुम्हारी ओर अपेक्षा भरी निगाहों से देख रहा है। वह सदियों से वंचित, प्रताडि़त, अपमानित रहा है। क्या तुम्हारे अंदर उसे अपनाने का साहस है? अपने को खोजने में अपने अंदर से ही पश्न उभरते हैं, वहीं से उत्तर भी मिलते हैं।
उनसे प्रेरणा पाकर मार्टिन लूथर किंग जूनियर रंगभेद मिटाने में तथा नेल्सन मंडेला अपने देश को आजाद कराने में सफल हुए। आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों ने भी उन्हें सराहा, अनुकरणीय विश्व-विभूति माना। ऐसे में भारत की नई पीढ़ी का गांधी जी से आवश्यक परिचय कैसे होता रहे, इस पर विचार जरूरी है। गांधी जी जानते थे कि अपने को समझने के लिए अपनों को समझना आवश्यक है गांधी जी केवल स्वतंत्रता सेनानी मात्र नहीं थे। उनका लक्ष्य तो अपने को हासिल करना था। अपने को जानना था। सत्य तक पहुंचने के लिए प्रयोग करना था। नवाचार करना था। मोक्ष प्राप्त करना था। वे जीवनपर्यंत इसी में लगे रहे। गांधी जी जानते थे कि अपने को समझने के लिए अपनों को समझना आवश्यक है, देश और समाज को समझना आवश्यक है। इसी कड़ी में दक्षिण अफ्रीका में जब उन्होंने जॉन रस्किन की पुस्तक अनटू दिस लास्ट पढ़ी तो उनका अंतर्मन जाग उठा। पीटर मैरिट्सबर्ग की घटना को वे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सृजनात्मक अवसर मानते थे। इसी प्रयास में गांधी जी ने 1921 में अपनी पोशाक बदल दी। यह उनकी उसी खोज का परिणाम था जिसने अंतर्मन से उन्हें सुझाया कि पंक्ति के अंतिम छोर पर खड़ा व्यक्ति तुम्हारे जैसा ही है। वह तुम्हारी ओर अपेक्षा भरी निगाहों से देख रहा है। वह सदियों से वंचित, प्रताडि़त, अपमानित रहा है। क्या तुम्हारे अंदर उसे अपनाने का साहस है? अपने को खोजने में अपने अंदर से ही पश्न उभरते हैं, वहीं से उत्तर भी मिलते हैं।
saving score / loading statistics ...