eng
competition

Text Practice Mode

BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Feb 24th 2020, 06:27 by akash khare


0


Rating

455 words
6 completed
00:00
भारत की पावन धरा ने एक से बढ़कर एक लाल पैदा किए हैं जिन्‍होंने अपने ज्ञान, कर्म, हुनर कमाल से पूरे विश्‍व में देश का मान बढ़ाया। इतिहास साक्षी है कि जादू कला की दुनिया में भी कई महान भारतीय सितारे उभरे, जिनकी जादगूरी को पूरे विश्‍व में प्रसिद्धि मिली। उन्‍हीं में से एक हैं जादूगर सम्राट शंकर, जिन्‍होंने विश्‍व में सर्वाधिक चैरिटी शो करके सिर्फ एक विश्‍व कीर्तिमान कायम किया हे, बल्कि जादू कला के माध्‍यम से समाज-सेवा का एक आदर्श भी स्‍थापित कर चुके हैं।
    सितारों की भीड़ मेंं ध्रुवतारे की तरह चमकते हुए पिछले तीन दशक से लोकप्रियता के नित्‍य-नये कीर्तिमान स्‍थापित कर रहे जादूगर सम्राट शंकर का नाम उन चंद महान फनकारों में शामिल किया जाता है जिन्‍होंने फुटपाथ पर बिखरी भारत की प्राचीनतम कला जादू को विश्‍व रंगमंच पर प्रतिष्ठित करने में महान भूमिका अदा की। सम्राट शंकर का जादू इतना ज्‍यादा लोकप्रिय हुआ कि शंकर एक नाम रहकर जादू कला का पर्यायवाची शब्‍द जैसा बन गया। कई प्रान्‍तों विशेषकर हरियाणा, पंजाब, दिल्‍ली, राजस्‍थान, हिमाचल प्रदेश आदि में जब भी कोई जादू या जादूगर की चर्चा करता है तो वहां स्‍वत: सम्राट शंकर का नाम उभर आता है। जादू यानी सम्राट शंकर का जादू या सम्राट शंकर जैसा जादू। इस तरह लिविंग लिजेंड सम्राट शंकर आज सफलता शोहरत की जिस गगनचुंबी बुलंदी पर हैं, कलाकाश की जिस ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं, वह किसी भी कलाकार के लिए एक सपना हो सकता है।
    किसी शायर की ये पंक्ति जादूगर सम्राट शंकर जी की कला यात्रा पर बेहद सही बैठती है, अकेले ही चले थे जानिवे मंजिल मगर, लोग मिलते गए और कारवां बढ़ता गया। जादूगर सम्राट शंकर भी अपनी ग्रेट मैजिकल जर्नी की शुरुआत में अकेले ही थे। कोई हमनवा, कोई रहगुजर, घर के लोगों का विरोध ऊपर से। कदम-कदम पर विरोधों के पहाड़, असहयोग की दीवारों उपहास के छोटे। शुरुआती सफर ही जब ऐसा हो तो उस कला यात्री की मानसिक स्थिति का सहज अंदाता लगाया जा सकता है। कोई भी आम आदमी इस तरह से हालातों से टकराकर टूट सकता है। टूटकर बिखर सकता है, हालात से समझौता कर वापस घर को लौट सकता है। पर सम्राट शंकर पीछे नहीं लौटे। दिल में जादू कला से मुहब्‍बत का ज्‍वार लिए दृढ़ संकल्पित इंसान जब तूफान बन जाता है तो दुनिया की बड़ी से बड़ी दीवारें बड़े से बड़ा पहाड़ भी उसे रोक नहीं पाता। वह आगे बढ़ता ही जाता है, निरंतर अपनी मंजिल की ओर और सम्राट शंकर ने तब से अब तक सिर्फ महालंबी दूरी तय कर ली है, बल्कि इस सफर में कई माइलस्‍टोन भी स्‍थापित किए हैं, जो बाद की पीढ़ियों के आगे बढ़ने के लिए एक प्रकाश पुंज की तरह मार्ग आलोकित करता रहेगा।
     

saving score / loading statistics ...