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साई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैंच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Feb 8th 2020, 02:35 by renukamasram


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भय का दानव क्रोध, चिन्‍ता, कायरता, ईर्ष्‍या, लोभ, लालच, असहिष्‍णुता आदि के विभिन्‍न रूप धारण करके हममें से अधिकांश का जीवन विक्षिप्‍त एवं पंगु बनाता है। कहने को तो सभी कहते हैं कि हम इक्‍कीसवीं सदी में जी रहे हैं। पर इस सदी में प्रत्‍येक व्‍यक्ति को किसी किसी चीज से भयभीत अवश्‍य पाया जाता है। किसी को अभाव का भय करता है, तो किसी को असफलता का कोई अन्‍धविश्‍वासों का शिकार है, तो कोई कल्‍पनाओं के भय से ही बुरी तरह पीडि़त है। हम अक्‍सर उन बातों की कल्‍पना करते रहते हैं जिनका हमारे वास्‍तविक जीवन से कोई लेना-देना नहीं है। मेरा एक मित्र है, जिसके सिर पर सदैव भयों का साया मंडराता रहता है। वह जब भी मुझे मिलेगा, युद्ध, अकाल एवं संकट की ही बात करेगा- देख लेना जुलाई के फलां दिन में दुनिया तहस-नहस हो जाएगी, जनवरी तक गेहूं खोजे नहीं मिलेगा, सारी दुनिया पर कम्‍युनिस्‍ट छा जाएंगे, मजदूर कारखानों पर कब्‍जा कर लेंगे और इस प्रकार काफी गड़बड़ फैल जाएगी। उसकी इसके अतिरिक्‍त भी बहुत-सी व्‍यक्तिगत चिन्‍ताएं हैं।
 वह कहेगा- मुझे  भय है कि शीघ्र ही मेरा स्‍वास्‍थ्‍य खराब हो जाएगा। मेरी पत्‍नी अपनी मां के पास से लौट रही है, रास्‍ते में उसके साथ कोई दुर्घटना हो जाए। इस प्रकार उसे तरह-तरह के भय सताते रहते हैं। हालांकि मैं उसे कई वर्षो से जानता हूं, लेकिन आज तक उसकी कोई भी भविष्‍यवाणी सच नहीं हो सकी। मुझे किसान की उस लड़की का वृत्‍तान्‍त अभी तक याद है। किसान की वह लड़की प्रतिदिन सुबह दूध दुहने जाया करती थी। जिस रास्‍ते से वह जाया करती थी, उस रास्‍ते में एक नाला पड़ता था। उस पर शहतीर (लट्ठा) पड़ा था। लड़की प्रतिदिन इसी शहतीर लट्ठे पर से चलकर नाला पार किया करती थी। एक दिन वह नाला पार करने के बजाय वहीं बैठकर रोने लगी। लोगों को उसके रोने पर आश्‍चर्य हुआ उससे जब रोने का कारण पूछा गया तो बोली- कल रात मैंने सपना देखा कि मेरा विवाह हो गया है। मैं अपने लड़के के साथ नाला पार कर रही थी कि उसका पैर फिसल गया और मेरा वह लड़का नाले में गिरकर डूब गया। सुनने वाले उसकी इस बात को सुनकर हंस पड़े। वास्‍तव में हमारी अधिकांश चिंताएं इसी प्रकार की मूर्खतापूर्ण कल्‍पनाओं से भी होती हैं। हम अपना जीवन बहुत-सी ऐसी बातों की चिंताओं से समाप्‍त कर देते हैं, जो वास्‍तव में कभी नहीं होती। इसी प्रकार मेरा एक परिचित व्‍यक्ति है। वह हमेशा कलह और संकट की आशंका करता रहता है। उसके मन में सदा यही भावना काम करती है कि वह भूल कर रहा है, वह अभागा है, लोग उसके विरुद्ध किसी षड्यंत्र की रचना कर रहे हैं। वह कितना ही परिश्रम क्‍यों करें, सब कुछ उसके विपरीत ही होगा। हममें से अधिकांश लोग मेरे इस मित्र जैसे ही हैं। हम सबको किसी किसी अमंगल की चिन्‍ता परेशान करती रहती है। मनोविज्ञानियों ने अनुमान लगाया है कि भय की अनेकानेक किस्‍में होती हैं।

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