eng
competition

Text Practice Mode

सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Nov 21st 2019, 12:42 by Saityping


1


Rating

472 words
7 completed
00:00
इन दिनों भारत में एक नई पहल चल रही है। कई राज्‍य स्‍वास्‍थ्‍य के अधिकार के लिए कानून लाने की बात कर रहे है। पहले मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और अब राजस्‍थान में भी स्‍वास्‍थय के अधिकार विषय पर राज्‍य सरकार काम कर रही है। कई राज्‍य स्‍तर की बैठके हो चुकी है। नवंबर के शुरूआत में मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक राष्‍ट्रीय स्‍तर के सम्‍मेलन में स्‍वास्‍थ्‍य के अधिकार पर चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में राज्‍य के मुख्‍यमंत्री, राज्‍यपाल, शिक्षा, ग्रामीण विकास, चिकित्‍सा शिक्षा, शहरी विकास, विधि और अन्‍य विभागो को मंत्रियों ने  भी शिरकत की। देश-विदेश के कई विषय विशेषज्ञ, जो स्‍वास्‍थ्‍य एवं अधिकारों के विषय में दक्षता रखते हैं, ने सम्‍मेलन में अपने विचार पेश किए।  
हालांकि विश्‍व में करीब 80 से अधिक देशों ने स्‍वास्‍थ्‍य के अधिकार को कानून बनाया हुआ है। भारत में यह एक नई शुरूआत है। भारत की तीसरी राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति, जो 2017 में जारी की गई, में कहा गया है की देश में सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का स्‍तर ऐसा नहीं है कि स्‍वास्‍थ्‍य को अधिकार बनाया जा सके। नीति 2017 कहती है पहले स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में सुधार किया जाए, फिर स्‍वास्‍थ्‍य अधिकार की चर्चा  हो।  
इसकी एक वजह यह भी है कि सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का स्‍तर एवं गुणवत्‍ता लोग सही नहीं मानते है। आंकडे यह भी बताते है कि भारत में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में कुल खर्च का 60 प्रतिशत लोग अपनी जेब से खर्च करते है। दुनिया भर में एक बात पर सहमति है कि लोगों की जेब से  स्‍वास्‍थ्‍य पर बड़ा खर्च उचित नहीं है, तथा यह अधिकतम 20 प्रतिशत होना चाहिए। यह एक वजह है कि भारत में लगभग 4 से 6 करोड़ लोग स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर जेब से  खर्च करने की वजह से गरीब हो जाते है। संक्षेप में, आम आदमी का स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर खर्च सरकारो के उन प्रयासों को कम प्रभावशाली बना रहा है, जो लोगों की गरीबी घटाने के लिए किए जा रहे है।  
स्‍वास्‍थ्‍य एक सम्‍पदा की तरह है। एक स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यक्ति समाज और देश के विकास के लिए काम करता है। अगर लोग बीमार रहते है, तो वे काम से छुट्टी लेंगे, अस्‍वस्‍थ आबादी के साथ कोई देश विकास का सपना नहीं देख सकता। दुनिया में अधिकतर सरकारें इस बात को समझती है और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए  जरूरी कदम उठाती है। भारत में कई वजहाे से स्‍वास्‍थ्‍य को सरकारों का उतना ध्‍यान नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए था।   
आयुष्‍मान भारत कार्यक्रम ने देश में लोगों और राजनीतिज्ञों का ध्‍यान स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की तरफ आकर्षित किया है। स्‍वास्‍थ्‍य की अधिकार भारत में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को सुदृढ करने का एक और सुनहरा अवसर है। इस अधिकार की जरूरत देश के सभी राज्‍यों को है, लेकिन जो  राज्‍य स्‍वास्‍थ्‍य नीति बना रहे है  या स्‍वास्‍थ्‍य के अधिकार का कानून लाने की बात करने के साथ कोशिश भी कर रहे है, सबको उनकी सहायता करनी चाहिए।  
 

saving score / loading statistics ...