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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Nov 21st 2019, 09:52 by SubodhKhare1340667


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रमेश बाबू, आज वृद्धाश्रम में उदास बैठे-बैठे अतीत में खो गए, उनका एक छोटा सा संसार था। वो, पत्‍नी रेशमा और एक मात्र पुत्र अपूर्व। जैसा नाम वैसा जहीन, हर कक्षा में अव्‍वल, विज्ञान में काफी रुचि थी उसे, अपूर्व को डॉक्‍टर बनकर एड्स पर रिसर्च करना था, और उस पर वैक्‍सीन बनानी थी।
    पिताजी के पास उतने पैसे थे, तो बेटे को पढ़ाने के लिए अपनी एक किडनी बेच दी, किसी को पता चलने दिया। अपूर्व एमबीबीएस करने के बाद रिसर्च करने के वास्‍ते छात्रवृत्ति मिल गई। प्रोफेसर अनिल के अंडर में रिसर्च करने लगा, प्रोफेसर को अपूर्व को अपने घर बुलाने लगे, वहां उनकी बेटी अर्पिता से मुलाकात हुई, मुलाकात परिणय में बदल गया, मां बाप ने सादगीपूर्ण तरीके से शादी कर दी।
    कुछ दिन सही चला, थोड़े दिन बाद घर में खटपट बढ़ने लगी। रेशमा को हाई ब्‍लड प्रेशर रहने लगा और एक दिन ब्रेन स्‍ट्रोक होने से चल बसी। मेरा घर में रहना अर्पिता को खल रहा था, उसके मित्र मेरे रहने से घर पर आते नहीं थे। उसने मेरे खिलाफ अपूर्व के कान भरने शुरू कर दिये।
    एक दिन बहु ने ये इल्‍जाम लगा दिया कि मेरी बुरी नजर है उस पर, उसी पल मैंने घर छोड़ने का निर्णय लिया, आज कोलकाता के एक वृद्धाश्रम में पनाह ली है। बेटे ने मुझे रोकने की कोशिश की और ये पता लगाने की कि सच्‍चाई क्‍या है, क्‍या यही मेरा बेटा है। जो मुझ पर जान न्‍योछावर करता था। पापा-पापा कहते हुए थकता था। यूं अचानक बदल गया।
     

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