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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Nov 21st 2019, 09:36 by DeendayalVishwakarma


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बहुत पुरानी बात है किसी गांव में दो मित्र रहते थे। उनमें से एक मित्र स्‍वार्थी और लालची था। जिसके बारे में पूरे गांव को पता था। जबकि दूसरा बहुत ही सज्‍जन व्‍यक्ति था। दोनों में अभी तक कभी ऐसी नौबत नहीं आई थी कि कोई मन-मुटाव हो। लेकिन जल्‍दी ही ऐसा समय गया। एक बार लालची के चालीस रुपये कहीं खो गए। वह बहुत उदास हुआ। वह अपना दु:ख बांटने अपने मित्र के पास गया। उसके मित्र ने उसे दिलासा दी। फिर वह अपने घर चला गया। थोड़ी देर बार उस सज्‍जन मित्र की बेटी हाथ में चालीस रुपये लेकर आई और अपने पिता को बताया कि उसे ये चालीस रुपये रास्‍ते में मिले। उस लड़की के पिता अपने मित्र के पास गए और उसे बताया कि उसके जो चालीस रुपये खो गए थे। वो रुपये उसकी पुत्री को मिले हैं। इतना कह कर उसने सभी पैसे अपने मित्र को दे दिए।
    रुपये देखकर उसके मन का लालच जाग गया। रुपये गिनते ही उसने तुरंत कहा कि उसके पचास रुपये खो गए थे। बाकी के 10 रुपये कहा हैं, उसके मित्र ने बताया कि उसकी बेटी को बस चालीस रुपये ही मिले थे। लालची मित्र ने बनावटी गुस्‍से से कहा कि वो बाकी के रुपये भी उससे निकलवा लेगा। उसके मित्र ने कहा की बस चालीस ही रुपये थे अगर पचास होते तो वह पचास ही वापस करता। लेकिन लालची मित्र नहीं माना।
    लालची मित्र पंचायत में चला गया और उनसे शिकायत की कि उसके मित्र और उसकी बेटी ने उसके 10 रुपये रख लिए हैं। दूसरे दिन पंचायत बुलाई गयी। उस लड़की और उसके पिता से पूछा गया तो उन्‍होंने कई बार बताया कि उसे बस 40 रुपये मिले थे। जो उन्‍होंने उसे दे दिए। अगर उन्‍हें रुपये चोरी करने ही होते तो वो चालीस रुपए भी क्‍यों देते। यह एक अजीब सी समस्‍या थी। जिस पर पूरे गांव की नजर थी। पंचों को पता चल गया था कि लालची व्‍यक्ति झूठ बोल रहा है। उन्‍होंने कुछ देर आपस में विचार-विमर्श किया। थोड़ी देर बाद उन्‍होंने फैसला दिया।
    चूंकि आपके पचास खो गए थे और इस लड़की को चालीस रुपये मिले हैं तो पंचायत ने यह फैसला किया है कि वो रुपये भी तुम्‍हारे नहीं हैं। क्‍योंकि तुम्‍हारे तो पचास खोये थे। इसके साथ ही पंचायत यह भी कहना चाहती है कि अगर किसी के चालीस रुपये खो गए हैं तो वो आकर इस लड़की से ले लें। और यदि किसी व्‍यक्ति को इनके खोये हुए पचास रुपये मिलते हैं तो इन्‍हें लौटा दीजिये।
    यह फैसला सुन उस लालची मित्र के पांव तले जमीन खिसक गयी। उसने तुरंत ही कबूल कर लिया कि वह झूठ बोल रहा था। उसे उसके 40 रुपये दे दिए जाएं। लेकिन पंचायत ने उसकी एक सुनी। उसके बाद वह लालची व्‍यक्ति अपना सिर पकड़ वहीं बैठ गया। लालच के कारण ही उसे झूठ बोलना पड़ा उसी के चालीस से हाथ धोना पड़ा। इतना ही नहीं भरी पंचायत में उसकी बेज्‍जती हुयी सो अलग।
     

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