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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open
created Nov 21st 2019, 07:17 by AnujGupta1610
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पुनरीक्षण याचिका इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि आवेदक की भूमि खसरा नंबर 175 ग्राम छिरावल तहसील व जिला छतरपुर मध्यप्रदेश में स्थित है, जिसका वह स्वामी व आधिपत्यधारी है। उसके द्वारा उक्त भूमि पर कई वर्षों से कांटों की बारी लगाकर फसल उगाकर खेती की जा रही है। दिनांक 1 जुलाई को समस्त अनावेदकगण द्वारा आवेदक की कांटेदार बारी को खोलकर उसके खेत में लगी उर्दा की फसल को बर्बाद कर दिया है और अनावेदकगण अपने साथ लाठी, बल्लम, कुल्हाड़ी, आदि शस्त्र लेकर आये और उन्हें आवेदक के भाई रामपाल और उसके पुत्रों ने अनावेदकगण को रोका तो अनावेदकगण ने बुरी-बुरी गालियां देना शुरू कर दी और कहा कि जो भी हमे रोकेगा उसे जान से खत्म कर दूंगा और यही जमीन में गाड़ देंगे। सभी अनावेदकगण, आवेदक व उसके भाई को मारने के लिए दौड़े तब आवेदक भागकर पुलिस थाना सटई चौकी पड़रिया जिला छतरपुर में आये और उसके द्वारा लिखित रिपोर्ट की गई। अनावेदकगण ने आवेदक की लगी हुई उर्दा की फसल को बर्बाद कर दिया है। तथा कटीले तारों की बारी को खोल दिया है, जिससे उसे पचार हजार रुपये का नुकसान हुआ। अनावेदकगण ग्राम के पैसे वाले प्रभावशाली व्यक्ति हैं उन्हें राजनीति संरक्षण प्राप्त है तथा पुलिस के द्वारा न तो रिपोर्ट लिखी गई न ही कोई कार्यवाही की गई, तब आवेदक के द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया गया और प्रत्यक्षदर्शी साक्षीगण के कथन भी कराये गये परंतु विचारण न्यायालय द्वारा सरसरी तौर से प्रकरण में आयी साक्ष्य व परिस्थिति पर ध्यान न देकर परिवाद निरस्त कर दिया है।
आवेदक की ओर से यह निवेदन भी किया है कि विचारण न्यायालय द्वारा परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने में विधि की भूल की गई है और विधि को नजर अंदाज किया गया है। परिवादी की ओर से जो साक्ष्य प्रस्तुत की गई थी उसके आधार पर अनावेदकगण के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किये जाने के पर्याप्त आधार थे, परंतु विचारण न्यायालय द्वारा परिवाद पंजीबद्ध न कर विधि की भूल की है। अत: विचारण न्यायालय पारित किये गये आदेश को निरस्त किया जावे और विचारण न्यायालय को निर्देशित किया जाये कि वह परिवादी का परिवाद पंजीबद्ध करे।
विचारण न्यायालय द्वारा पारित किये गये आदेश दिनांक 21 जुलाई का भी अवलोकन किया गया। आवेदक/परिवादी ने विचारण न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया और अपने परिवाद को पंजीबद्ध कराये जाने हेतु उसने अपने स्वयं के कथन धारा 200 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत विचारण न्यायालय में दिये और अपने कथनों के समर्थन में साक्षी राहुल तथा दीनदयाल के कथन धारा 202 के अंतर्गत कराये गये।
परिवादी की ओर से से स्वयं के जो कथन दिये गये हैं उनका अवलोकन किया गया तथा उसके साक्षीगण के कथनों का भी अवलोकन किया गया। प्रकरण में परिवादी अथवा उसके साक्षीगण के कथनों में ऐसे कोई भी तथ्य नहीं आये हैं, जिनके आधार पर प्रथम दृष्टया यह प्रकट होता हो कि आरोपीगण ने लोक स्थान पर परिवादी को अश्लील गालियां देकर उसे क्षोभ कारित किया।
आवेदक की ओर से यह निवेदन भी किया है कि विचारण न्यायालय द्वारा परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने में विधि की भूल की गई है और विधि को नजर अंदाज किया गया है। परिवादी की ओर से जो साक्ष्य प्रस्तुत की गई थी उसके आधार पर अनावेदकगण के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किये जाने के पर्याप्त आधार थे, परंतु विचारण न्यायालय द्वारा परिवाद पंजीबद्ध न कर विधि की भूल की है। अत: विचारण न्यायालय पारित किये गये आदेश को निरस्त किया जावे और विचारण न्यायालय को निर्देशित किया जाये कि वह परिवादी का परिवाद पंजीबद्ध करे।
विचारण न्यायालय द्वारा पारित किये गये आदेश दिनांक 21 जुलाई का भी अवलोकन किया गया। आवेदक/परिवादी ने विचारण न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया और अपने परिवाद को पंजीबद्ध कराये जाने हेतु उसने अपने स्वयं के कथन धारा 200 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत विचारण न्यायालय में दिये और अपने कथनों के समर्थन में साक्षी राहुल तथा दीनदयाल के कथन धारा 202 के अंतर्गत कराये गये।
परिवादी की ओर से से स्वयं के जो कथन दिये गये हैं उनका अवलोकन किया गया तथा उसके साक्षीगण के कथनों का भी अवलोकन किया गया। प्रकरण में परिवादी अथवा उसके साक्षीगण के कथनों में ऐसे कोई भी तथ्य नहीं आये हैं, जिनके आधार पर प्रथम दृष्टया यह प्रकट होता हो कि आरोपीगण ने लोक स्थान पर परिवादी को अश्लील गालियां देकर उसे क्षोभ कारित किया।
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