Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open
created Nov 21st 2019, 06:06 by VivekSen1328209
0
390 words
0 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
आवेदनपत्र अंतर्गत धारा 439 दण्ड प्रक्रिया संहिता पर उभयपक्ष के तर्क सुने गये। पुलिस थाना शहर कोतवाली मंदसौर में पंजीबद्ध उपराध क्रमांक 466/18 अंतर्गत धारा 392 भारतीय दण्ड संहिता से संबंधित केस डायरी का परिशीलन किया गया।
आवेदक की ओर से यह तर्क किया गया कि वह निर्दोष है और मामले में उसे मिथ्या आलिप्त किया गया है। आगे यह भी तर्क किया गया कि अन्वेषण पूर्ण होकर अभियोगपत्र प्रस्तुत किया जा चुका है। आवेदक को गिरफ्तार किया गया और तब से वह निरंतर न्यायिक निरोध में है। अन्वेषण में आवेदक की अब कोई आवश्यकता नहीं है। आवेदक मंदसौर का स्थायी निवासी है। उसके भागने, फरार होने की कोई संभावना नहीं है। प्रकरण के सह अभियुक्त ओमप्रकाश की इस न्यायालय द्वारा जमानत स्वीकार की जा चुकी है। अत: आवेदक को समानता के आधार पर जमानत पर मुक्त किया जावे।
राज्य की ओर से विद्वान लोक अभियोजक ने जमानत आवेदनपत्र का विरोध किया। अभियोजन कथा संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादी श्रीमती रानीबाई और श्रीमती सीताबाई दशरथनगर मंदसौर में साईं मंदिर के बाहर पट्टी पर बैठकर आपस में बातचीत कर रही थीं और एक-दूसरे का मोबाइल नंबर नोट कर रही थी। उसी समय आवेदक और सह अभियुक्त रामप्रसाद मोटरसाइकिल से आये और फरियादी रानीबाई के हाथ से जियोनी कंपनी का मोबाइल कीमत आठ हजार छीनकर भाग गये। फरियादी रानीबाई ने हल्ला किया। आवेदक और उसके साथी को चौधरी कॉलोनी के भोज टेण्ट हाउस के पास रंगे हाथों पकड़ लिया गया। फरियादी रानीबाई की सूचना पर थाना शहर कोतवाली मंदसौर में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। आवेदक/अभियुक्त रमाकांत कुमार के कब्जे से मोबाइल जप्त किया गया और सह अभियुक्त रामप्रसाद के कब्जे से उस मोटरसाइकिल को जप्त किया गया, जिस पर वे दोनों आये थे। अन्वेषण के पश्चात् अभियोगपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया जा चुका है।
लूट की संपत्ति बरामद हो चुकी है। अन्वेषण पूर्ण होकर अभियोगपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जा चुका है। आवेदक निरंतर न्यायिक निरोध में है। अपराध आजीवन कारावास से दण्डनीय नहीं है। अत: आवेदक को जमानत पर मुक्त किया जाना उचित पाया जाता है।
विचारोपरांत, जमानत आवेदनपत्र स्वीकार किया जाता है और आदेशित किया जाता है कि यदि आवेदक/अभियुक्त की ओर से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मंदसौर की संतुष्टि योग्य पच्चीस हजार रुपये की जमानत व इतनी ही राशि का बंधपत्र प्रस्तुत किया जावे तो आवेदक/अभियुक्त को निम्न शर्तों पर जमानत पर मुक्त किया जावे।
आवेदक की ओर से यह तर्क किया गया कि वह निर्दोष है और मामले में उसे मिथ्या आलिप्त किया गया है। आगे यह भी तर्क किया गया कि अन्वेषण पूर्ण होकर अभियोगपत्र प्रस्तुत किया जा चुका है। आवेदक को गिरफ्तार किया गया और तब से वह निरंतर न्यायिक निरोध में है। अन्वेषण में आवेदक की अब कोई आवश्यकता नहीं है। आवेदक मंदसौर का स्थायी निवासी है। उसके भागने, फरार होने की कोई संभावना नहीं है। प्रकरण के सह अभियुक्त ओमप्रकाश की इस न्यायालय द्वारा जमानत स्वीकार की जा चुकी है। अत: आवेदक को समानता के आधार पर जमानत पर मुक्त किया जावे।
राज्य की ओर से विद्वान लोक अभियोजक ने जमानत आवेदनपत्र का विरोध किया। अभियोजन कथा संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादी श्रीमती रानीबाई और श्रीमती सीताबाई दशरथनगर मंदसौर में साईं मंदिर के बाहर पट्टी पर बैठकर आपस में बातचीत कर रही थीं और एक-दूसरे का मोबाइल नंबर नोट कर रही थी। उसी समय आवेदक और सह अभियुक्त रामप्रसाद मोटरसाइकिल से आये और फरियादी रानीबाई के हाथ से जियोनी कंपनी का मोबाइल कीमत आठ हजार छीनकर भाग गये। फरियादी रानीबाई ने हल्ला किया। आवेदक और उसके साथी को चौधरी कॉलोनी के भोज टेण्ट हाउस के पास रंगे हाथों पकड़ लिया गया। फरियादी रानीबाई की सूचना पर थाना शहर कोतवाली मंदसौर में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। आवेदक/अभियुक्त रमाकांत कुमार के कब्जे से मोबाइल जप्त किया गया और सह अभियुक्त रामप्रसाद के कब्जे से उस मोटरसाइकिल को जप्त किया गया, जिस पर वे दोनों आये थे। अन्वेषण के पश्चात् अभियोगपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया जा चुका है।
लूट की संपत्ति बरामद हो चुकी है। अन्वेषण पूर्ण होकर अभियोगपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जा चुका है। आवेदक निरंतर न्यायिक निरोध में है। अपराध आजीवन कारावास से दण्डनीय नहीं है। अत: आवेदक को जमानत पर मुक्त किया जाना उचित पाया जाता है।
विचारोपरांत, जमानत आवेदनपत्र स्वीकार किया जाता है और आदेशित किया जाता है कि यदि आवेदक/अभियुक्त की ओर से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मंदसौर की संतुष्टि योग्य पच्चीस हजार रुपये की जमानत व इतनी ही राशि का बंधपत्र प्रस्तुत किया जावे तो आवेदक/अभियुक्त को निम्न शर्तों पर जमानत पर मुक्त किया जावे।
saving score / loading statistics ...